बुधवार, 26 फ़रवरी 2020

जीवन जीने के तरीके क्या है ?

जीवन जीने के तरीके क्या हैं ?

आदरणीय हमारा मानना है जीवन जीने की मुख्य रूप से 4 तरिके हो सकते है
1 अपने में मस्त रहकर
2 स्वयं के व दुसरो के हित मे व्यस्त रहकर
3 गलत राह पर भटक कर
4 परमात्मा में लीन रहकर

1 स्वयं में मस्त
     छोटा नवजात शिशु /मानसिक रोगी  सदैव स्वयं में मस्त रहता है उसे दुनियादारी का ज्ञान नही कोई उसकी भाषा को समझ पाता नही इसलिये वो अधिकतर स्वयं में मस्त रहता है

2 स्वयं व दुसरो के हित मे व्यस्त रहकर
 छोटे 5 वर्ष के बच्चे से लेकर वृद्ध अवस्था तक हर कोई किसी न किसी कार्य मे स्वयं को व्यस्त रखता है बच्चे अपनी तोतली बोली व हरकतों से परिजनों को लुभाकर स्वयं भी खुश रहते हैं और दूसरों को भी खुश रखते हैं वही अन्य स्वयं के /परिवार के व अन्य के लिये प्रतिदिन अनेक कार्य कर अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं
https://youtu.be/r6a7o_4Dt0k

3 गलत राह पर भटक कर
     बचपन की गलतियों व अन्य कारणों से कुछ लोग सही मार्ग को छोड़ कुछ ऐसा कर बैठते हैं कि उन्हें अपनी व परिवार /रिश्तेदारों की छवि तो धूमिल होती ही है वही वो चैन से कभी नही रह पाते ऐसे लोग अपराध पर अपराध की श्रृंखला बनाते जाते है और अंत मे पछतावे के अलावा इनके पास कुछ नही बचता थाना /कोर्ट और समाज का डर इन्हें ना ठीक से जीने देता है ना ये लोग मर ही पाते है  इन लोगो के लिये झूठ बोलना /धोखा देना आम बात होती है

4 परमात्मा में लीन रहकर
साधु /संत इस मार्ग पर चलकर अनेको सिद्धियों को प्राप्त करते रहते है और इनका अंतिम लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति रहता है भारत की भूमि पर अनेक ऐसे साधु /संत हुवे है जिन्होंने परमात्मा में लीन होकर अपना लक्ष्य प्राप्त किया है


सारांश -सदैव सदमार्ग पर चले सच्चाई और ईमानदारी से कर्म करते रहे परमात्मा सदैव आपकी मदद हेतु ततपर रहेगा ऐसा हमारा मानना है मेहनत की कमाई सूखी रोटी भी  अमीरों के कीमती व्यंजनों से अच्छी होती है

    झूठ /धोखा जिसने भी किसी से किया है अंत मे उसी को उसका दण्ड भी किसी न किसी रूप में मिलता रहा है

ॐ नमो---//---

आज के लिये इतना ही बाकी फिर
Https://msrishtey.blogspot.com
https://wa.me/919034664991

सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

प्रेम (अंतरजातीय) विवाह के कारण क्या ?

प्रेम  (अंतरजातीय) विवाह के कारण क्या ?

आदरणीय कहने को प्रेम विवाह पहले भी होते रहे है तब कुछ साल से लवमैरिज (अंतरजातीय विवाह ) की संख्या बढ़ती जा रही इसके कारणों को समझे और निदान का प्रयास अवश्य करे

क्योकि स्वजातीय विवाह में अन्य जाति बन्धुओ से वैर नही होता और नवदम्पति को उसके परिवार /रिश्तेदार व मित्रो का सहयोग /आशीर्वाद सदैव मिलता है जबकि अंतरजातीय विवाह में ऐसा सम्भव नही हो पाता


प्रेम विवाह (अंतरजातीय) विवाह के कारण

1 मीडिया एवं सोशल मीडिया पर हो रहे दुष्प्रचार कारण बहुत सी फ़िल्म प्रेम विवाह पर बनी है और उन सबमें हीरो को ज्यादा बड़ा चढ़ा कर दिखाया जाता है वो अकेला 20 /30/100 /200 को पीटकर आपनी हीरोइन से विवाह रचा कर फ़िल्म का the end होता है

2 एकल परिवारों में माता पिता अपनी सर्विस /व्यवसाय व निजी व्यस्तता के कारण बच्चो पर ध्यान कम देते है और बच्चे टीवी/मोबाइल /व गलत संगत में पढ़कर प्रेम (अंतरजातीय) विवाह करने लगे है

3 आजकल विवाह योग्य बच्चो के संस्कार कोई नही पूछता अब तो केवल बच्चे /बच्ची की सुंदरता /शिक्षा /आमदनी और पैतृक सम्पति देखकर अपने से अधिक सामर्थ्य वान से रिश्ता हर कोई करना चाहता है इन्ही बढ़ती अपेक्षाओं के कारण स्वजातीय रिश्ते  मिलते नही और जो मिलते है वहा दोनो परिवारों की सहमति नही होने से अन्तर्जातीत विवाह करना उचित मानने लगे है

4 परिवारिक /समाजिक बंधनो का अब महत्व कम हो चला है कारण हर कोई आजादी चाहता है लड़के /लड़कीं अपने साथ काम करने वाले या पढ़ने वाली की तरफ आकर्षित होकर प्रेम (अंतरजातीय) विवाह करने लगे है वो परिवारिक /समाजिक बन्धनो में घुटन महसूस करने लगे है शायद

5 समाजिक संस्थाओ में बैठे पदाधिकारी निजस्वार्थ में उलझकर रह गए है उन्हें समाजिक समस्याओं /जरूरतों का पता तो होता है किन्तु समाजहित में हर कोई कार्य करना नही चाहता कुछ बन्धु समाजहित में कार्य तो करते है किंतु उनके प्रयास पर्याप्त नही इस कारण भी प्रेम (अंतरजातीय) विवाह अधिक होने लगे है

6 सरकार से मिल रही सहायता के कारण भी प्रेम (अंतरजातीय) विवाह का बड़ा कारण है कारण इसमे नवदम्पति को सुरक्षा व अन्य सुविधाएं कुछ समय तक उन्हें मिल जाती है ऐसा सुनने में आता है

7 घर परिवार से दूर कार्यरत /शिक्षारत बच्चो को नए माहौल में कुछ दोस्त तो मिलते है किंतु परिवारिक दबाव रहता नही और वो एक दूसरे के प्रति आकर्षण /विचारों के कारण अंतरजातीय विवाह करने लगे है

8 आजकल विवाह में खर्च की अधिकता व अत्यधिक आडम्बरो /दहेज व कुछ अन्य कारण के चलते स्वजातीय रिश्ते नही बन पा रहे और मध्यम /गरीब परिवार अपनी आर्थिक हालात से तंग आकर अपने बच्चों के विवाह प्रेम (अंतरजातीय) विवाह करने लगे है

इन सबके अलावा भी भी बहुत से कारन से प्रेम (अंतरजातीय) विवाह होने लगे है अतः जितना जल्द हो सके इस कुरीति को खत्म कर स्वजातीय विवाह करे ताकि आप अपने परिवार व स्वजायीय बन्धुओ के साथ मिलकर समाज विकास में सहयोगी बने

आज के लिये इतना ही बाकी फिर

ॐ नमो ---//---

🙏🏻🌹🙏🏻
Https://msrishtey.blogspot.com

मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020

विवाह में देरी कारण क्या ?

विवाह में देरी कारण क्या ?

आदरणीय समाज मे युवाओं का विवाह समय पर नही होने से विकट समस्या खड़ी हो रही है जिसे सबको मिलकर हल करना चाहिये अन्यथा एक दिन आपके पास धन /बच्चे /बंगला /गाड़ी तो सब होंगे पर बहु /दामाद नही होंगे

कारण क्या

परिवार संगठित नही एकल परिवार में हम दो हमारे दो और सबके बीच वैचारिक मतभेद होने से समय पर विवाह नही हो रहे
उदाहरण - युवक /युवतियां चाहते है ज्यादा पढ़ लिखकर कोई अच्छी सर्विस /व्यवसाय को करने लगे यानी अपने पांव पर खड़े हो जाये फिर शादी कर लेंगे

वही उनके माता पिता चाहते है बच्चे /बच्ची पढ़ लिखकर कोई अच्छा व्यवसाय /सर्विस करेंगे तो रिश्ते बहुत मिल जायेंगे बस यही से गलती होती है बच्चो की शिक्षा 20 से 25 वर्ष में पूरी  होती हैं फिर 2 से 3 साल सर्विस /व्यवसाय को खोजने /करने में लग जाते हैं अब 28 साल के बच्चे हेतु रिश्ते की खोज शुरू तो करते है
Https://msrishtey.blogspot.com

किन्तु परिवारिक बिखराव /रिश्तेदारों से दूरियां /मित्रो से सहयोग नही मिल पाने के कारण
Https://msrishtey.blogspot.com

हर कोई सोशल मीडिया /वेबसाइट के माध्यम से रिश्ते की खोज करने लगा है कारण इसमे खर्च कम /समय की बचत और सुविधा अधिक तो मिलती है किंतु नही मिलता वो है दूसरे पक्ष का समय से जवाब
Https://msrishtey.blogspot.com

कैसे कुछ लोग बच्चो की शिक्षा/सुंदरता /कुंडली/आमदनी /व्यवसाय /सर्बिस के अलावा बच्चे /बच्ची के विवाह में  कितना ज्यादा खर्च कर सकते है और बच्ची दहेज में कितना ला रही है या बच्चे के नाम कितनी जमीन जायदाद /बैंक बैलेंस आदि है को महत्व ज्यादा देने लगते है शुरू के दो तीन साल पसन्द आते नही जो पसन्द आते हैं उनके लिये परिवारिक सहमति बनती नही या फिर दूसरा पक्ष अपनी अत्यधिक अपेक्षाओं के चलते मना कर देता है
Https://msrishtey.blogspot.com

इसी सोच के चलते बच्चे /बच्ची की आयु 35 की हो जाती है फिर लड़कियों के बराबर पढ़े लड़के नही मिलते और जो मिलते है वो पसन्द आते नही किसी की लड़कीं से शिक्षा /आमदनी कम होना
Https://msrishtey.blogspot.com

सोचिये 35 वर्ष की आयु में लड़के और लड़कीं कि आधी जिंदगी निकल चुकी क्योकि अब इंसान 65 की आयु तक जी जिंदा रह पाता है एक अनुमान के अनुसार और 35 वर्ष जीवन के बीत चुके अब जवानी भी ढलने लगी है युवक /युवती मानसिक तनाव के चलते अनैतिक राह पर चलेंगे या फिर किसी बुरी आदत का शिकार होकर जीवन को बर्बाद कर लेंगे अतः जितना महत्व शिक्षा /व्यवसाय /सर्विस /धन को देते है उतना ही महत्व अगर परिवार /रिश्तेदार /मित्रो को देंगे तो शायद इस समस्या का कोई हल भविष्य में निकल भी आए

आज के लिये इतना ही बाकी फिर

ॐ नमो ---//---
🙏🏻🌹🙏🏻
Https://msrishtey.blogspot.com

सोमवार, 17 फ़रवरी 2020

समाज पतन के जिम्मेदार कौन ?

समाज पतन के जिम्मेदार कौन ?

आदरणीय समाज पतन के अनेक कारण रहे हैं जिनमे से आज नीचे लिखे कारण समझकर ही पतन को रोक पाएंगे

1 परिवार -
     आदरणीय एक समय था जब सभी परिवार संगठित होकर रहना पसंद करते थे किंतु गाँव /शहर से दूर नोकरी/व्यवसाय हेतु /पुश्तेनी सम्पति के बंटवारे /आपसी वैचारिक मतभेद आदि कारणों से परिवार सिमट कर हम दो हमारे दो तक ही रह गए है और आपसी दूरियां बढ़ने से आज हालात ये है कि विवाह की उम्र निकल जाने पर भी बच्चे /बच्ची के विवाह नही हो रहे

2 व्यापार /व्यापारी -
   आदरणीय एक समय घ जब मालिक नॉकर के बीच पिता -पुत्र /भाई भाई जैसा रिश्ता होता था और सुख दुख में सदैव एक दूसरे का सहारा बनते थे नॉकर व्यापारी का काम लग्न /मेहनत से करता था और व्यापारी उसके सुख दुख में आर्थिक व अन्य मदद करता था जोकि नॉकर को वापिस करने की चिंता कभी नही रही  किन्तु आज व्यापारी नॉकर से ज्यादा काम करवाना चाहता है मेहनताना पूरा देता नही /वही नॉकर मेहनताना ज्यादा और काम करना चाहता है परिणाम दोनो ही अत्यधिक स्वार्थी बनकर रह गए इसलिये आज बेरोजगारी जैसी स्थिति बन गई

3 समाजिक संगठन -
  आदरणीय समाजिक संगठन सदैव समाजहित जरूरतमंद की मदद एवं समाज उत्थान के लक्ष्य से बनते अवश्य है और गरीब /अमीर सभी  सहयोग भी करते है किंतु संगठनों में धनी को पद /मंच/माला /माइको से लगाव है और गरीब को अहमियत कोई देना चाहता नही इसलिये उसका शोषण ही पदाधिकारीअनेक तरह से करते है सरकार से मिलने वाली सुविधा / सहायता हो या समाज से मिला चन्दा सब पर धनी अधिकार जमाकर बैठ जाते है
Https://msrishtey.blogspot.com

4 धार्मिक संगठन -
   आदरणीय एक समय था जब आज की तरह धार्मिक संगठन नही थे बल्कि ऋषि /महृषि /गुरुजन अपनी कुटिया /आश्रम में ही शिष्यों को धर्म की शिक्षा /आमजन को धर्म प्रवचन देकर धर्म का प्रसार करते थे उन्हें आज की भांति धन /पद या राजनीति में रुचि एक हद तक ही होती थी किन्तु आजकल धर्म को भी कुछ ने व्यापार बना रखा है और भक्त जन दिल खोलकर धन देने लगते है परिणाम जरूरतमंद को मदद नही मिल रही और धार्मिक संगठन करोड़ो /अरबो की सम्पति बनाकर बैठ गए

5 राजनीति संगठन -
 आदरणीय किसी भी देश /राज्य की उन्नति /पतन के पीछे ये संगठन बड़े जिम्मेदार होते है राजनीति कोई करे किन्तु उसका लक्ष्य देश /राज्य के हित मे होनी चाहिये किन्तु दुर्भाग्य की बात है राजनीति में कुछ विपक्षियों को देश /राज्य /ग्राम की चिंता नही होती वो तो केवल विरोध करना जानते है ताकि आमजन भृमित रहे और उनकी राजनीतिक पहचान बनी रहे इसके बदले बेसक देश /राज्य का पतन हो उन्हें परवाह नही
Https://msrishtey.blogspot.com

6 मीडिया/सोशल मीडिया  -
आदरणीय किसी भी देश की उन्नति /पतन के लिये ये भी बराबर का जिम्मेदार है इसी के माध्यम से आमजन को सूचनाएं मिलने लगी है और इसके साथ जुड़े बन्धु जैसा प्रचार करेंगे ठीक वैसा ही असर देश /राज्य की जनता के दिमाग मे होगा अगर है देश /राज्य की उन्नति के उद्देश्य से अच्छी जानकारी /सूचनाएं /फ़िल्म /नाटक दिखाए तब तो हर कोई उन्नति के राह पर चलेगा  और वही सोशल मीडिया /मीडिया के माध्यम से आमजन को भृमित /झूठी जानकारी /अश्लील प्रोग्राम /फ़िल्म आदि का प्रसार होगा तो निश्चित ही देश /राज्य का पतन होगा
Https://msrishtey.blogspot.com

7 युवापीढ़ी -
आदरणीय किसी भी देश /राज्य का युवा उसका भविष्य निर्धारित करता है और बचपन से जवानी तक इसने जो सीखा /समझा उसी अनुरूप ये कार्य करता है जिसका परिणाम देश /राज्य को मिलता है इसलिये हर युवा को चाहिये सदैव अच्छा सीखे अच्छे कार्य करने का प्रयास करे और जो कोई भटक रहा हो उसे समझाकर अच्छे मार्ग पर लाये ताकि सबकी उन्नति हो ।

लेख पढ़ने के लिये आपका धन्यवाद ।

ॐ नमो ---//---
आज के लिये इतना ही बाकी फिर

🙏🏻🌸🙏🏻

रविवार, 16 फ़रवरी 2020

जीवन मरण क्या है ?

जीवन मरण क्या है ?

किसकी मृत्यु कब होगी जानने के लिए लेख को अंत तक पढ़े

आदरणीय आत्मा अजर अमर अविनाशी है ये आप हम बहुत बार सुनते रहे है यानी आत्मा का ना जन्म होता है और ना मरण ,
आत्मा ना कभी बूढ़ी होती है ना ही जवान क्योकि आत्मा निराकार है जैसे शरीर को धारण करती है उसमे जब तक रहेगी वही उसका स्वरूप कह सकते है ,
जिसका जन्म नही उसका मरण नही जो कभी युवा नही वो कभी वृद्ध नही इसलिये आत्मा अविनाशी हुई अतः आत्मा द्वारा नया शरीर धारण करना जन्म है और उस शरीर का त्याग (प्राण वायु का निकल जाना) मरण

इतना सब जानने के बाद हर कोई जानना चाहेगा कि जन्म मरण का रहस्य क्या 👇🏻
आत्मा परमात्मा के आदेशानुसार अनेको प्रकार के शरीर धारण करती है किस शरीर मे किस आत्मा द्वारा किस तरह के कर्म किये ये अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि उस शरीर के नष्ट होने पर आत्मा जब पुनः नवशरीर में प्रवेश करेगी तब पूर्वशरीर(जन्म) के कर्म आधार पर उसको फल मिलना है जिसके पूर्व शरीर (जन्म) ने अच्छे कर्म किये हो उन्हें अनेको प्रकार से लाभ मिलते देखा है जबकि मौजूदा शरीर मे रहकर उन्होंने ऐसा कोई कर्म नही किया जिसके फल स्वरूप उन्हें वो सब मिले

उदाहरण - नन्हे मासूम बच्चे के पूर्वशरीर के अच्छे कर्म के फलस्वरूप नवशरीर ( जन्म )योनि पर मिलने वाले परिवार /सम्पति में हकदार /एवं अन्य कुछ सम्भव

आपने देखा होगा  संसार मे आत्माएं दो प्रकार के शरीर धारण करती है
एक वो शरीर जो जन्म से मरण तक स्वयं एक स्थान से दूसरे स्थान पर विचरण व अनेको कार्य /क्रिया  करता है और शरीर के मरण (सांसारिक मृत्यु) होने पर स्वयं कुछ नही कर पाता बल्कि अन्य शरीरों में मौजूद आत्माएं उस शरीर को नष्ट कर देती है ताकि पुनः नवशरीर में वो आत्मा फिर से विचरण कर सके
उदाहरण - पशु /पक्षी /मानव एवं अन्य जीव जंतु



 दूसरे मौजूदा शरीर मे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ना तो विचरण करती है ना ही स्वयं अन्य कुछ कर पाती है उस शरीर के साथ अन्य शरीर मे मौजूद आत्माएं क्रिया कर जीवन को एक गति प्रदान करती है
 उदाहरण -पहाड़ /पेड़ /पौधे   जोकि स्वयं कुछ नही कर सकते किन्तु उनमे भी जीवन है तभी तो हम सभी को फल /फूल /जड़ी बूटियां व बेशकीमती रत्न आदि प्राप्त होते रहते है और उनका मरण (वो शरीर) समाप्त होते ही वो आत्माएं फिर परमात्मा के आदेशानुसार नवशरीर को धारण करती है

किसकी मृत्यु कब होगी ? 👇🏻

आदरणीय इसका जवाब किसी भी इंसान के पास नही कारण किस पल कब क्या होगा आप हम सोच तो सकते है पर कर पाए या नही ये परमात्मा की इच्छा पर निर्भर है
उदाहरण -आपने सुना होगा कण कण पर लिखा खाने वाले का नाम यानी आपके आगे रखी थाली का भोजन आप खा पाए या नही ये आपको ज्ञात नही हो सकता है अन्य आपका मित्र साथ खाने लग जाये उसे रोक तो नही सकते ना  दोनो अपने भाग्य अनुसार खा पाएंगे ना कम ना ज्यादा

कल कही पढा की शरीर जब रहने लायक नही हो तब आत्मा शरीर का त्याग कर नया शरीर धारण करती है यानी उस शरीर की मृत्यु हो जाती है

ये पूर्ण सत्य नही कारण आपने देखा सुना होगा प्रति दिन घटना /दुर्घटनाओं में छोटे मासूम से लेकर युवा व वृद्ध तक की मृत्यु हो रही है
सोचिये क्या नवजात /युवा का शरीर रहने लायक नही था अवशय था किंतु पूर्व शरीर मे किये कर्मो के आधार पर उनके नवशरीर के जन्म मरण का समय निर्धारित था इसलिये ऐसा हुआ

सारांश - सृष्टि में मौजूद आत्माओं द्वारा जितने भी शरीर धारण करने /छोड़ने के समय को उनके कर्म आधार पर मिले समय को जीवनकाल यानी जन्म मरण कह सकते है अतः भाव इतना कि मानव शरीर बड़े भाग्य से मिलता है जब तक आपके पास समय है तब तक सदैव अच्छे कर्म करे ताकि इस शरीर के बाद आप परमात्मा में विलीन हो सके या फिर नवशरीर में अच्छा जीवन जी सके

स्वर्ग और नरक भी यही है अन्यत्र कही नही आप अनेको योनियों में मौजूद शरीर की दशा दिशा देखकर उनकी स्थिति का जान सकते है ।।

कटु सत्य किसी भी मानव ने अभी तक वो साइंस नही बनाई जो परमात्मा के सम्पूर्ण रहस्यों को जान सके

कागज की डिग्रियां हो या धरातल के अनुभव दोनो ही परमात्मा की साइंस के आगे बहुत छोटे है अतः परमात्मा में विस्वास कर अच्छे कर्म करते जाओ बाकी परमात्मा की इच्छा

आज के लिये इतना ही बाकी फिर

लेख पढ़ने के लिये आपका धन्यवाद

ॐ नमो---//---



🙏🏻🌹🙏🏻

शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

मृत्यु क्या है क्यो नष्ट करते है मृत शरीर ?

मृत्यु क्या है क्यो नष्ट किया जाता है मृतशरीर ?

पूरा लेख पढ़कर ही किसी निष्कर्ष पर पहुचे ताकि बात समझ आये

आदरणीय आज का विषय गहरा है अक्सर आप जब किसी के शरीर मे स्वांश का आवागमन  रुका देख /सुन लेते है तो उसे मृत मान लेते है डॉक्टर भी श्वांस /रक्त के प्रवाह को रुका देख जीव को मृत घोषित कर देते है ऐसा हमने सुना है

किन्तु हमारे मतानुसार ये पूर्ण सत्य नही है

मृत्यु को जनाने के लिये लेख को पूरा पढ़े

मृत्यु को हम अनेक प्रकार की मानते है

मृत्यु के प्रकार 👇🏻

1 शरीर में श्वांस /रक्त के प्रवाह का रुक जाना मृत्यु संसार मानता है

2 हमारे धर्मानुसार कुछ विशेष प्रकार के साधु जिंदा रहते हुए साँसार के तमाम सुख / संसाधन /वैभव त्याग कर स्वयं के पिंड दान कर मृत मान लेते है उसके बाद उनका संसार की मोह माया ममता से कोई रिश्ता नही रहता अगर रहता है तो केवल एक परमात्मा से उनका जप /तप/पूजा /पाठ यानी तमाम वो क्रियाएं जिनसे परमात्मा की प्राप्ती हो वही उनका अंतिम लक्ष्य  कहलाता है क्योकि उनका मानना है परमात्मा से मिलन के बाद पुनः किसी भी शरीर को धारण करने की आवश्यकता नही रहेगी

3 वो जिनकी डॉक्टर /व आमजन अनुसार मृत्यु सेंकडो वर्ष पहले हो चुकी किन्तु उनके प्राण अभी बाकी है कारण सभी धर्मों में मृतक का अलग अलग तरिके से अंतिम संस्कार होता है
उदाहरण -हमारे धर्म मे दाहसंस्कार यानी मृत शरीर को चिता में जलाकर अंतिम सँस्कार होता है
एक अन्य धर्म मे मृतशरीर को धरती में गड्ढा खोदकर यानी कब्र में दफना कर अंतिम संस्कार
 किया जाता है
एक अन्य धर्म के बारे में सुना है वो ना दफनाते है और ना चिता में मृतक को जलाते है वो मृतक को एक बड़ा सा कुवा नुमा खुले स्थान पर रख आते है जहां अनेको प्रकार के मांसाहारी जीव जंतु पक्षी उस मृतक के शरीर को नष्ट कर अंतिम संस्कार कर देते है

सुना है दुनिया मे ऐसे भी हुए है जिनकी सांसारिक रूप से तो मृत्यु बहुत पहले हो चुकी किन्तु प्राण अभी भी बाकी है

उदाहरण  -विदेशो में कुछ मम्मियां ऐसी सुनी है जिनके बाल /नाखून बढ़ रहे है जबकि मृत्यु तो काफी साल पहले हो चुकी

 कुछ सिद्ध साधु संतों का भी सुनने को मिलता है जिनकी मृत्यु तो काफी साल पहले हो चुकी किन्तु अस्थिपिंजर आज भी योग साधना में लीन है यानी ऐसा लगता है वो अभी तक जीवित अवस्था मे साधना कर रहे है

क्यो नष्ट किया जाता है मृत शरीर 👇🏻
आदरणीय आत्मा अमर है इसके लिये शरीर मात्र एक वस्त्र है जिसे परमात्मा की इच्छा अनुसार आत्मा अनेको प्रकार के शरीर को धारण करती है छोड़ देती है और इसी प्रकार ये चक्र चलता रहता है
किस आत्मा ने कौनसा शरीर धारण किया कब छोड़ देगी ये आप हम नही जान पाते हम नवजात को एक नाम देकर सांसारिक पहचान तो देते है और वो पहचान शरीर के नष्ट होने तक ही रहती है उसके बाद आत्मा का  कब कहा किस जाति /प्रजाति में जन्म ले क्या नाम हो कोई नही जानता इन्ही कारणों से सदियों पूर्व समाज के बुद्धिजीवी वर्ग ने मृतक के शरीर को अलग अलग प्रकार से नष्ट करना शुरू किया ताकि उस शरीर मे आत्मा पुनः प्रवेश नही कर सके क्योकि पुनः  प्रवेश अगर कर भी ले तो कौन जान पायेगा वही आत्मा है या अन्य कोई आत्मा है
सभी धर्म अलग अलग प्रकार से मृत मानव शरीर को नष्ट करते है

सारांश - ये आप पर निर्भर है कि आपने लेख को किस नजरिये से पढ़ा और क्या आप समझ पाए जो आपको ठीक लगे वही इस लेख का सार समझ लीजिये क्योकि हर किसी के अपने मान्यता है

साधु संत मानते है कि समाधि लीन शरीर फिर जीवित हो सकता है यानी योग निद्रा जाने कब खुल जाए इसलिये वो शरीर को नष्ट नही करते

सांसारिक लोग मानते है मृतक जिंदा नही हो सकता इसलिये अपने धर्म अनुसार अंतिम संस्कार करते है

वही कुछ विदेशी जिन्होंने मम्मियां रखी हुई है वो भी मानते है मृतक जीवित हो सकता है और इसी कारण वर्षो से मम्मियों को संभाल कर रखे हुए है अन्यथा कब का नष्ट कर देते

लेख पढ़ने के लिये आपका धन्यवाद

आज के लिये इतना ही बाकी फिर

ॐ नमो ---//---

हमारे साथ जुड़े रहने के लिये नीचे दिए लिंक को सर्च करे 👇🏻
Https://msrishtey.blogspot.com

🌹🙏🏻🌹

शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2020

क्या वेलेंटाइन डे मनाना चाहिये ?

क्या वेलेंटाइन डे मनाना चाहिये ?

आदरणीय दुनिया मे हर किसी को अपनी इच्छा अनुसार जीने का अधिकार है
किंतु
क्या एक दिन वेलेंटाइन डे मनाने प्रेम /प्यार का प्रदर्शन उचित है 🤔

 क्या आप अपने साथी से एक ही दिन प्रेम करना चाहेंगे 🤔

साल के बाकी के दिन प्रेम की जरूरत नही क्या आपको या आप बाकी के दिन अपने साथी से प्रेम नही करते 🤔

आदरणीय हम भारतीयों के पूर्वजो का कहना है कि विवाह का बंधन सात जन्म का होता है हर पल जीवनसाथी से प्रेम के पल इंसान कभी नही भूलता

एक सत्य ये भी है कि प्रेम केवल जीवनसाथी या प्रेमिका तक सीमित नही बल्कि  इंसान प्रेम अपने माता पिता भाई बहन पति पत्नी बेटा बेटी मित्र एवं अन्य बहुत से  सदैव करता रहा है और करता रहेगा क्योंकि प्रेम के बिन जीवन मे कुछ भी नही

भक्त भगवान से प्रेम करता है
प्रेमी प्रेमिका से प्रेम करती है
पत्नी पति से प्रेम करती है

कहने का तातपर्य प्रेम अनन्त है इसका उल्लेख शब्दो मे कर पाना आसान नही

अतः मानव जीवन को सार्थक बनाने के सबसे प्रेम कीजिये अपनी जिम्मेदारी निभाईये किन्तु प्रेम /प्यार के नाम पर किसी से धोखा नही करे झूठा प्रदर्शन नही करे और ना ही स्वयं प्यार में किसी धोखे का शिकार बने


ये सब लिखने का कारन केवल इतना कि आज प्यार के नाम पर युवा बहक रहे है अनेको की जिंदगी बर्बाद हो चुकी और जाने कितने ही अभी प्यार /प्रेम को को टीवी /सोशल मीडिया पर दिखावटी /नकली प्यार देखकर बहकने बाकी है कहना सम्भव नही ।।


सारांश - माता पिता अपना दायित्व निभाये अपने जीवनसाथी के साथ प्रतिदिन वेलेंटाइन डे मनाए ताकि आपके प्रेम की कदर हो और आपके बच्चे भी भविष्य में विवाह के उपरांत अपने जीवनसाथी संग वेलेंटाइन डे मना सके  युवा पीढ़ी देश /परिवार का भविष्य है उसको सही मार्ग दिखाना /मार्गदर्शित करना सबका दायित्व है


धन्यवाद

ॐ नमो ---//---

आज के लिये इतना ही

मार्गदर्शन /लेखक -   राधा /महेश

हमारे साथ जुड़े रहने के लिये नीचे दिए लिंक पर सर्च करे 👇🏻
Https://msrishtey.blogspot.com

🙏🏻🌹🙏🏻

आजीवन स्वस्थ कैसे रहे ?

आजीवन स्वस्थ कैसे रहे ?

आदरणीय आजीवन स्वस्थ रहना हर कोई चाहता है किंतु स्वयं की लापरवाही के कारण एवं मौसम के कारण रोग आने लगते है

आपने देखा होगा आजकल तो छोटे मासूम बच्चे से लगाकर बुजुर्ग तक दवाओं पर निर्भर होते जा रहे जबकि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अगर सही हो तब तो छोटे मोटे रोग स्वयं भी ठीक हो सकते है

बुजुर्गो ने हमारे देश की जलवायु और रहन सहन को देखते हुए हमें अनेक प्रकार के भोजन बनाने /खिलाने तक कि जानकारियां दी हुई है

हमारे रसोई घर मे मौजूद मसाले  /घर के आंगन में लगी तुलसी भी अनेक रोगों की दवा है इनकी जानकारियां होनी चाहिये

आजीवन स्वस्थ बने रहने के लिये आप ये कर सकते है 👇🏻

1 प्रतिदिन सुबह उठते ही कुल्ला करने से पूर्व बासी थूक आंखों में लगाए इससे आपको आंखों सम्बंधित रोग जीवन मे कभी नही होगा बशर्ते आप नियम से करे

2  सुबह आप भर पेट ताजा या गुनगुना पानी पीकर शौच को जाए इससे आपको कभी कब्ज की शिकायत नही होगी और पेट सम्बंधित रोग नही होंगे कारन रात भर से जमा मल निकल जाएगा


3  इसके बाद आप योग /प्राणायाम या सैर आदि जो ठीक समझे कीजिये इससे आपको दिनभर थकावट नही रहेगी और शरीर भी सुदृढ हो जाएगा आते समय या जाते वक्त कही से नीम या बबूल की दातुन तोड़कर /खरीदकर चबाकर मंजन कीजिये इससे दांतो सम्बंधित रोग नही होंगे

4  सुबह इन सबके बाद आपको गाय (गौ) का शुद्ध घी गुनगुना कर दोनो नाक में दो दो बूंद डालकर थोड़ी देर आराम से ऊपर की और खींचना होगा या फिर लेट कर नाक में डलवाये ताकि घी आपके दिमाग तक जा सके इससे आपके दिमाग मे जमा मैल नाक के रस्ते साफ हो जाएगा और आपके दिमाग मे ठंडक बनी रहेगी दिमाग /आंख /नाक /कान सभी को लाभ होगा और स्नान से पूर्व नाभि में सरसों का तेल अवश्य लगाए इसके अनेको लाभ होंगे

5 सुबह नाश्ते में आप दही रोटी /मेवा /लस्सी /दूध /दलिया /फल या अन्य सादा भोजन अपनी रुचि अनुसार करे ताकि दिनभर आपके शरीर को ऊर्जा मिलती रहे  इससे आपके पेट मे गर्मी ज्यादा नही बढ़ेगी

6 दोपहर का भोजन सब्जी /दाल/दही/सलाद /रोटी/चावल /फल खाइए  ताकि आप अपना कार्य ठीक से कर सके और शरीर स्वस्थ रहे

7 दलिया /खिचड़ी /मूंग की धुली दाल /सब्जी /रोटी जो मर्जी खाइए भोजन थोड़ा कम करे ताकि दिन भर में जितना भी खाया है सबको शरीर सुबह तक पचा सके

8 रात्रि सोने से पूर्व दूध लीजिये ताकि आपके शरीर को शक्ति और भोजन नली में रूका भोजन पेट मे चला जाये और सुबह बचा मल शौच के समय बाहर निकल जाए

कहने का तातपर्य इतना आप तली हुई /फ़ास्ट फूड /पहले से तैयार डब्बा /थैली पैक  में रखा भोजन नही खाये अन्यथा अनजाने में रोग के शिकार हो सकते है जो भी खाए या पिये स्वच्छ हो ताजा हो और पौष्टिक हो खूब चबा चबाकर कर खाएं

दिन भर में प्रति 15 से 30 मिनट के अंतराल पर थोड़ा थोड़ा पानी अवश्य पीजिये ताकि पेट भोजन
 को अच्छे से पचा सके

सारांश - भोजन 24 घण्टे में पचा सके भोजन पेट मे सड़ने से अनेक रोग के शिकार हो सकते है आप अतः सजग रहे स्वस्थ रहें

धन्यवाद

आज के लिये इतना ही बाकी फिर ----

ॐ नमो---//---

🙏🏻🌹🙏🏻

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2020

निःशुल्क सेवा बन्द कारण क्या ?

🕹 *आवश्यक सन्देश* 🕹
    13/02/2020

विषय - *मैढ़ स्वर्णकार रिश्ते की फ्री सेवा बन्द करने बाबत*

आदरणीय जैसा कि *आप जानते है बीते वर्षो से मैढ़ स्वर्णकार रिश्ते समाजहित में फ्री सेवा करते रहे है*

तथापि *आपको ये भी याद होगा 1जनवरी 2017 को हमने समाज से मिले कुछ कड़वे अनुभव को देखते हुए निःशुल्क सेवा के साथ सक्षम बन्धुओ की इच्छा से सहयोग राशि भी लेनी शुरू की और आज तक ले रहे है जो ना देना चाहते उनके बच्चों हेतु हम निःशुल्क जितना सम्भव हो प्रयास करते रहे है*

*जिसके परिणाम स्वरूप अनेको बच्चो के रिश्ते बनते है और विवाह भी परिवारों की सहमति अनुसार हो जाते है सभी खुश रहे स्वस्थ रहे यही हमारी कामना है*

आज सन्देश लिखने का कारण ये की आज 12/02/2020 को हमने *अनिता जी सहदेव निवासी गाजियाबाद से कॉल पर बात की कारण हमें एक बेटी के लिये सुयोग्य सर्विस वाला लड़के की तलाश है और अनिता जी सहदेव का बेटा बैंक मैनेजर भी है और उसका रजिस्ट्रेशन स्वयं अनिता जी सहदेव (गाजियाबाद) ने हमारे पास निःशुल्क सेवा में रजिस्टर करवाया हुआ है*

और *आज भी कह रही थी करदो बायो का प्रचार यानी बच्चे का विवाह होने के बाद बायोडेटा प्रचारित होता रहे इनको आपत्ति नही क्योकि निःशुल्क सेवा रजिस्टर है बायोडेटा जेब से देना नही चाहती*

इनके बेटे *राहुल जी का विवाह महीनों पहले हो चुका और हमे ये खबर देना नही चाहती थी इनका कारण तो हम नही जानते जब बात हुई तब स्वयं अनिता जी सहदेव और उनके बेटे राहुल दोनो का हमारे साथ दुर्व्यवहार सुन कर हम कह सकते है समाज  भावनाओ के नाम पर समाज शोषण करना ही इन लोगो का लक्ष्य है* और

 *हमने निर्णय लिया है कि आज के बाद रिश्ते वाली निःशुल्क सेवा को बंद कर देना चाहिये हालांकि इसको बंद करने के पीछे अन्य भी कुछ कारण है*

अतः *कृपया कर रिश्ते वाले कार्य हेतु हमसे निशुल्क सेवा की उम्मीद कोई नही करे*

*केवल ब्लड डोनर और आयुर्वेद जानकारी  हेतु निःशुल्क सेवा जब मर्जी ले सकते है*

कृपया ध्यान दे :- *जिनके भी बच्चों का रजिस्ट्रेशन हमारी निःशुल्क सेवा में हुआ है या उनका विवाह हो गया हो वो बायोडेटा को हमारे पास से हटवा कर कृतार्थ करे* ताकि हम अपनी अन्य सेवाएं समाजहित में दे सके

धन्यवाद

ॐ नमो ---//---


🙏🏻🌹🙏🏻 रिश्तो में सहायक

मैढ़ स्वर्णकार रिश्ते
9034664991
Https://msrishtey.blogspot.com

क्या सामूहिक विवाह होना चाहिये ?


क्या सामूहिक विवाह होना चाहिये ?

आदरणीय इसको समझने के लिये पूरा लेखकर पढ़कर ही अपना निणर्य ले क्योकि हमारे अनुसार सामूहिक विवाह एक अभिशाप (मीठा विष) है जो समय के साथ साथ समाज को निगलने का काम करेगा

कारण आयोजको को तीन जगह से धन मिलता है  सरकार से /समाज के धनी बन्धुओ से /विवाह में शामिल वर /वधू पक्ष से कहने का अर्थ खर्च से अधिक धन आना बड़ी बात नही

जबकि खर्च जमा धन से करने के अवसर कम होते है कारण समाज मे बैठे बन्धुओ का सहयोग हर प्रकार से समाज भावनाओ /निजस्वार्थ के चलते हर तरह से मिलता है आयोजको को

कैसे
ऐसे आयोजनों में तीन प्रकार के बन्धु सहयोग करते है

एक जिनकी आर्थिक मजबूरी है ऐसा विवाह करने की या फिर फ़्री का दान दहेज चाहते हो इनके लिये स्वाभिमान /उसूल से कोई लेना देना नही हो

दूसरे वो जिनको ना तो विवाह करना है और ना ही उनके पास दान /सहयोग करे इतना धन है ऐसे बन्धु आयोजक व सहयोगी के रूप में काम करते है

तीसरे वो जिनके पास धन तो बहुत है बच्चो के विवाह हो चुके या फिर छोटे है केवल नाम प्रसिद्धि या पुण्य लाभ के लिये दान /उपहार देना चाहते है या फिर दान पर इनकम टैक्स में छूट पाने के लिये देना चाहे

हालांकि जिन्हें फ्री दान दहेज पाने /सस्ता विवाह  करने की इच्छा हो वो करे हमे आपत्ति नही क्योकि ऐसे विवाह के बाद आप समाज के सामने सिर उठाकर बोलने लायक नही रहेंगे अगर आपने प्रयास किया तो कोई भी आपको या आपके परिजनों को सामूहिक विवाह की याद दिलाकर झुकने पर मजबूर कर सकता है


स्वाभिमान / सच्चाई और उसूलों को पसन्द करने वाले बन्धु  समझौता नही करना चाहेंगे किसी भी कीमत /लालच में आकर सामूहिक विवाह कदापि नही करेगा बेसक मंदिर में चुनरी उड़ा कर या कोर्ट मैरिज कर या फिर आर्य समाज मे विवाह कर वधु घर लानी पड़े या विदा करनी पड़े

देखा जाए तो कोर्ट मैरिज से सस्ता /बेहतर अन्य विवाह हो ही नही सकता कारन सरकारी नियम  है कि विवाह आप जहाँ मर्जी करे किन्तु रजिस्टर्ड करवाना आवश्यक हो गया है और आप विवाह के लिये जमा पूंजी से घरेलू जरूरत अनुसार सामान खरीद भी सकते है एक स्वाभिमानी को और क्या चाहिये यही ना सदैव सिर उठाकर जिओ तो मजा ज्यादा आता है जीने का



दूसरे वो जिन्हें स्वाभिमान /सच्चाई और उसूलों से कोई लेना देना नही केवल स्वार्थ पूर्ति होनी चाहिये बेसक कुछ भी करना पड़े यही लोग अक्सर धोखा करते /पाते है कही रिश्ता करवाने के नाम पर बीच मे हजारों /लाखो डकार जाते है जिनका कही जिक्र तक नही होता  तो कही विवाह के उपरांत बच्चे /बच्ची कातलाक या/शोषण के रूप में

तीसरे सामर्थ्य वान जो दान /उपहार देकर नाम कमाना चाहते है इनकी कोई गलती नही किन्तु ये खुद भी धोखे का शिकार बनते है कारण इन्हें खुद ये नही पता होता कि आयोजको ने इन जैसे कितने सेंकडो /हजारों बंधुओ से लाखों रुपया जमा तो किये किन्तु हिसाब आधा अधूरा दिया या फिर उपहार विवाहित जोड़ो को मिला ही नही

आपने एक बात और देखी सुनी होगी आयोजक या उनके सहयोगी चन्दा /दान मांगने आपके घर दुकान तक पहुंच जाते है बेसक आप उनके राज्य में ना हो तब भी इसके पीछे है उनका निजस्वार्थ आने से दान /उपहार की बुकिंग भी होगी और किसके यहां विवाह योग्य बच्चा /बच्ची है और परिवार की आर्थिक स्थिति क्या है सब देख लेते है यही से इनका खेल शुरू होता है

धनी परिवार इनको लालच देकर अपने बच्चे /बच्ची के लिये रिश्ते पूछने लगते है बेसक उनका बच्चे की आयु ज्यादा हो या अन्य शारिरिक कमी हो या फिर रिश्ता मिल नही रहा हो उन्हें तो विवाह करवाने की इच्छा है बेसक जो मांगो देने को तैयार रहते है


अतः सामूहिक विवाह ना स्वयं करे और ना दुसरो को प्रेरित करे क्योकि स्वाभिमान से बढ़कर धन नही और जिसका स्वाभिमान चला गया वो बेसक करोड़पति /अरबपति हो जावे स्वाभिमान लौटकर नही आता कभी

सारांश - विवाह कोर्ट /मंदिर या अपने घर /धर्मशाला जहाँ मर्जी करो पर फ्री के सामान की खातिर या अन्य स्वार्थ के वशीभूत होकर सामूहिक विवाह नही करे ना ही करवाये इसके दूरगामी परिणाम भुगतने पड़ सकते है

विवाह कम पैसे में भी होता है और अरबो रुपये में भी आपका जितना सामर्थ्य हो आप अपने अनुसार स्वयं के दम पर कर सकते है केवल थोड़ा संयम से काम लेना होगा

ये लेख हमारे निजी विचार व कुछ बन्धुओ की भावनाओ को सुनकर पढ़कर लिखा गया है जरूरी नही आप सहमत ही हो आप को जो उचित लगे कीजिये बताना हमारा फर्ज है मानो ना मानो मर्जी आपकी

धन्यवाद

ॐ नमो---//---
🙏🏻🌹🙏🏻
हमारे साथ बने रहने के लिये नीचे दिए लिंक पर सर्च करे 👇🏻
Https://msriahtey.blogspot.com

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020

दहेज क्या है इसका अंत कैसे हो ?

दहेज क्या कैसे अंत हो इस कुप्रथा का ?

आदरणीय  दहेज समाज के लिये बड़ी समस्या बनता जा रहा है इसके कारन अभी तक अनगिनत बहन /बेटियां की खुशिया छीन चुकी है बहुत सी बहन बेटियां की जीवन लीला समाप्त हो चुकी इसका अंत जितना शीघ्र हो अच्छा रहे

दहेज क्या है ? 👇🏻

वर पक्ष लालच वश वधु पक्ष से की गई मांग जिसमे रुपया/जेवर/कपड़ा/जमीन  या अन्य जो कुछ मांग में शामिल हो दहेज कहलाता है

वधु पक्ष अपनी बच्ची की खुशियों के लिये देना मजबूरी /इच्छा मानते है क्योंकि वो भी चाहते है उनकी बेटी का विवाह उससे अधिक गुणवान ओर धन सम्पन्न वर से हो

दोनो ही पक्ष भूल जाते है दुनिया मे किसी भी रुपये /जेवर/ या वस्तु को ले /देकर परिवारों में खुशियां नही लाई जाती 

दहेज एक ऐसा मीठा लालच है जिसे लग जाये बढ़ता ही जाता है

और समय के साथ बढ़ती वर पक्ष की मांग एक दिन वधु को तलाक लेने पर मजबूर करती है या फिर दहेज के कारण वधु के जीवन का अंत हो जाता है

बहुत सी ऐसी बहन बेटियां समाज मे देखने को मिलेंगी जो पति से अलग रह रही है बहुत के साथ उनके छोटे मासूम बच्चों को भी पिता /माँ दोनो में से कोई एक से दूर रहना पड़ता है

सोचिये क्या गलती है उन मासूम बच्चों की जिनकी माँ अब दुनिया मे नही या फिर अपने पति से अलग रह रही क्या बीतती होगी उनके दिल पर 😇😇

कटु सत्य तलाक हो या वधु के जीवन का अंत दोनो ही परिस्थितियों में दुःख बहुतों को होता है

इसलिये प्रण लीजिये दहेज लेना और देना बंद करेंगे

अपने बच्चे /बच्ची  के व्यवहार /संस्कारो के अनुकूल वर /वधु की तलाश करेंगे ताकि दोनो के विवाहित जीवन मे खुशियां सदैव बनी रहे

माता पिता को चाहिये अपने बच्चों को जीवन मे आये सुख / दुख के क्षणों में मार्गदर्शन करते रहे नवविवाहित को भटकने से बचाये

जीवन मे जितना आपके पास हो उतने में सन्तुष्ट रहे या फिर अपनी लग्न /मेहनत से हासिल करे

किसी अन्य को मजबूर करके लिया सामान आपके घर /बैंक खाते की शोभा तो अवश्य बढ़ा देगा किन्तु बदले में आपके परिवार की खुशियां छीन लेगा

दहेज लालची वर पक्ष को समझना चाहिये  आज जो कुछ दुसरो से ले रहे है उससे ज्यादा खुद की बहन /बेटी के ससुराल वालों को देना पड़ सकता है और आवश्यक नही की सब दे देने के बावजूद भी आपकी बहन /बेटी को खुशी मिल सके


भावार्थ - दहेज रूपी कुरीति का अंत कर रिश्तो में प्रेम और सामंजस्य बनाये रखे ताकि दम्पतियों का जीवन बिखरने से बच सके और सबको खुशी मिलती रहे

आज के लिये इतना ही

धन्यवाद

ॐ नमो---//----

🙏🏻🌹🙏🏻हमारे साथ जुड़े रहने के लिये  इस लिंक को सर्च करते रहे 👇🏻
Https://msrishtey.blogspot.com

मंत्र क्या है ?

मंत्र क्या है

सीधे शब्दों में कहे तो मन को तंत्र से जोड़ने का आधार हैं मंत्र
मन और तंत्र दो शब्दों से मिलकर बना है मंत्र जिसके उच्चारण से अनेको कार्य सिद्ध हो उस शक्ति का नाम है मंत्र

आदरणीय इसको समझ पाना आसान नही कारण सृष्टि के आरंभ से ही मंत्रो के द्वारा अनेको ऋषि मुनियों व अनेको ने शक्तियां हासिल की और जनकल्याण कार्य किए है

इसे समझने के लिये कुछ विचार लिखे है आशा है आप सहमत होंगे किसी भी निर्णय तक पहुंचने से पूर्व लेख को पूरा पढ़े

मंत्र एक ऐसा शब्द जिसके बोलने /सुनने  मात्र से हर कोई स्वयं अपने अंदर असीम ऊर्जा महसूस होने लगती है मंत्र जप में ध्वनि मन मस्तिष्क से होकर जिव्हा तक आती है



बोलता हर कोई है किंतु जब ध्वनि का संचार केवल जिव्हा से नही होकर मन मस्तिष्क से होकर जिव्हा तक होने लगे तब उससे उतपन्न ध्वनि को मंत्र मानते है

मंत्र जप से अनेको रोगों को ठीक किया जा सकता है इसके अलावा भी मंत्र जप से अनेको लाभ हासिल कर सकते है मंत्र जप से परमात्मा की कृपा जल्दी प्राप्त हो जाती है दुख के क्षणों में इंसान डगमगाता नही बल्कि अपने पथ पर निरंतर आगे बढ़ता रहता है


संसार मे परमात्मा ने सभी को बोलने /सुनने की शक्ति दी है जिसके माध्यम से हर कोई अपनी ध्वनि (आवाज) व इशारो से दूसरों तक अपने विचार /भावनाएं प्रकट करता है और महसूस करता है

जीव के द्वारा बोले गए शब्द सदैव दुसरो पर असर डालते है

संसार मे दो तरह की ध्वनि सुनने को मिलेगी एक जो आपको आकर्षित करे जिसे बार बार सुनने और बोलने को दिल करे

दूसरी वो जिसे सुनना हर कोई पसन्द करे ऐसा जरूरी नही

सदियों पूर्व बड़े बड़े ऋषियों मुनियों ने ध्वनि पर अनेका नेक शोध करके अक्षर /मात्रा व शब्दो को बनाया तदुपरांत सबके बोलने से उत्तपन्न ध्वनि को समझकर  हम सभी  को हजारों /लाखो मंत्र जनकल्याण में इंसान को दिए है जिनका लाभ हर साधक जानता है

उदाहण 👇🏻
 नीचे लिखे मंत्र को लगभग हर कोई जानता है जो कोई इस मंत्र को जपता है निश्चित ही माँ गायत्री का आशीर्वाद उस पर सदैव बना रहता है

ॐ भूर्भवः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात ।।

मृत्यु के भय से मुक्त कर जीवन रक्षा में बना मंत्र  महाकाल (शिव)का मंत्र 👇🏻

जिसे जपने मात्र से अकाल मृत्यु का भय नही रहता है इस मंत्र में अद्भुत शक्ति है  जिसे शब्दो मे लिखा नही जा सकता केवल मंत्र को जपने वाला ही जान सकता है
मंत्र  इस पर बड़े बड़े शोध आज भी हो रहे हैं ये मंत्र मरणासन्न तक पहुचे को भी ठीक कर सकता है 👇🏻

 ॐ हौं जूं स: ॐ भर्भुवः सवः
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम
उर्वारुक्मिव बंधननान
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात
ॐ सवः भुवः भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!


श्री हरि का  कल्याण कारी मंत्र
जपने में आसान और कार्य करते हुए भी जप किया जा सकता है लाभ अनन्त है  👇🏻

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

समझने की बात सभी मंत्रो के जप से अनेको लाभ  साधक को होते है बशर्ते साधक किसी योग्य गुरु के सानिध्य में मंत्रो का जप करे और किसी भी मंत्र का दुरुपयोग /उच्चारण नही करे सदैव नियमो का पालन करे निश्चिंत रहे आप मंत्र शक्ति से लाभ हासिल कर पाएंगे

भावार्थ - मंत्र शक्ति को पहचानिये यही वो माध्यम है जो आपको परमात्मा से सम्पर्क साधने के काम करेगा अन्य दुनिया की धन दौलत शौहरत एक न एक दिन मिट जाएगी किन्तु मंत्र शक्ति से जुड़कर आप अपना व जनकल्याण कर पाएंगे

ध्यान देने योग्य बात - किसी भी झोला छाप तांत्रिक या साधु के चक्कर मे नही आये वो ना खुद का भला कर सकते है ना दुसरो का उनका लक्ष्य केवल धोखा देना दुसरो का अहित साधना हो सकता है अतः इनसे बचकर रहे

मंत्रो में कुछ बीज मंत्र जुड़ने से उनकी शक्ति अपार हो जाती है महामृत्युंजय मंत्र हमने बीज मंत्रो सहित लिखा है उसी मंत्र को कुछ बन्धु बीज मंत्र के बिन जपते है मंत्र बोलने /जपने में सुविधा के लिये किन्तु वो नही जानते अधूरे मंत्र जप से पूर्ण लाभ हासिल नही होता अतः बीज मंत्रो सहित मंत्र जप योग्य गुरु के सानिध्य में करे


आज के लिये इतना ही -

धन्यवाद


ॐ नमो ---//---

समाज मे आपसी सौहार्द कैसे रहे ?

समाज मे आपसी सौहार्द्र कैसे रहे

आदरणीय आपसी सौहार्द्र यानी आपसी सहयोग की भावना एक दूसरे का सम्मान करते हुए समाज मे आपसी एकता व समाज को उन्नत किया जा सकता है ऐसा हमारा मानना है

आपने बुजुर्गो से सुना होगा आजदी के बाद देश भर में आपसी भाईचारे की भावना से एक दूसरे दूसरे को सहयोग करते रहे जिसका लाभ देश की जनता को अनेक प्रकार से हुआ

किन्तु
आजादी के बाद समय के साथ हर कोई खुद को बदलने में ऐसा लगा कि परिवारों में बिखराव और  आर्थिक भेदभाव आपस मे उत्पन्न हुए

आर्थिक अंतर पहले भी था किंतु महसूस नही हो पाता था कारण आपसी सहयोग को ततपर समाज भाई बन्धु जो सुख दुख में सदैव साथ रहे

क्या आज आपसी सौहार्द है 👇🏻
यहां दो तरह के विचार मिलेंगे

1 कोई किसी का साथ नही देता सब मतलबी हो गए ये पूर्ण सत्य नही साथ अब भी देते है किंतु निजस्वार्थ से साथ देना पसन्द करते है
उदाहरण - बड़े व्यापारी के साथ अगर कुछ हो जाये तो सब साथ होने का दिखावा करेंगे कारण वो सामर्थ्य वान है और  उनमे से अधिकतर के अलग अलग स्वार्थ निहित है
किन्तु
अगर उस व्यापारी के कर्मचारी के साथ कुछ गलत हो जाये तो अधिकतर उससे किनारा करेंगे कारण वो कमजोर है किसी का साथ दे पाए ऐसा जरुरी नही

अभी ये मात्र शुरुवात है आने वाले समय मे बहुत कुछ देखने को मिलेगा अगर ऐसे ही चलता रहा

अभी भी समय है आपने से कमजोर वर्ग का साथ दो तभी आप समाज मे आपसी सौहार्द बना सकेंगे

अन्यथा ये संस्थाए /पद /करोड़ो का बैलेंस तो आपके पास होगा पर नही होगा समाज का साथ कारण समाज को कभी आपने अपना माना ही नही 😇😇


भावार्थ -सौहार्द के लिये अहम और वहम दोनों का त्याग करना होगा अहम इस बात का की मेरे पास सब है कोई मेरा क्या बिगाड़ लेगा मैं क्यो किसी का साथ दु और वहम इस बात का की मेरे पास सब है मेरे दुख सुख में साथ देने वालो की कमी नही ।

दुनिया का एक सत्य ये है कि हर कोई अकेला आया अकेला जाएगा  इसलिये इस जीवन को स्वयं के और दूसरों के हित मे लगाओ तभी जीवन सफल होगा अन्यथा स्वयं के लिये तो जानवर भी जिंदा रहते है


जानवर मत बनो इंसान बन अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करो परिवार व समाजहित में

आज के लिये इतना ही ----//---

धन्यवाद

ॐ नमो ---//----


मार्गदर्शन /लेखक -  राधा /महेश

शनिवार, 8 फ़रवरी 2020

मृत्युभोज का बिगड़ता स्वरूप क्या हो समाधान?

मृत्युभोज का बिगड़ता स्वरूप क्या हो समाधान ?

आदरणीय आप जानते है जीवन मरण दुनिया मे लगा रहता है यानी जिसका जन्म हुआ उसका मरण भी निश्चित समय पर होगा
लेख को पूरा पढ़े ततपश्चात अपना निर्णय ले सम्भव है आप हमारी बातों से सहमत ही होंगे

मृत्युभोज क्यो आवश्यक है ? 👇🏻

आदरणीय दुनिया मे हर जीव को स्वस्थ रहने के लिये भूख अनुसार भोजन करना आवश्यक है भोजन कब कहा कैसा होगा ये कोई नही जानता

उदाहरण 👇🏻
आप परिवार सहित शहर /गांव से दूर सफर में है जहां सुबह से शाम हो जाये तब आप क्या करेंगे आस पास किसी होटल /रेस्टोरेंट या किसी परिवार की सहायता से भोजन का प्रबंध करेंगे या नही सोचिये अवश्य करेंगे क्योंकि आप जानते है भोजन के बिन शरीर को चलायमान रख पाना सम्भव नही
इसी लिये सदियों पूर्व पूर्वजो ने सोच विचार कर विवाह के समय अलग भोजन यानी अच्छे से अच्छा भोजन खिलाने की प्रथा चलाई
वही किसी की मृत्यु होने पर दुःखी परिवार को सांत्वना देने और उसकी यथा सम्भव सहायता के लिये दूर दराज से आये परिवार /रिश्तेदार एवं मित्रो के लिये सादा भोजन बनाने की प्रथा चलाई कारन शोकाकुल परिवार में उन दिनों 12 दिन शौक स्वरूप भोजन नही बनता था और 13वे दिन सभी मिल बैठकर उसके यहाँ भोजन कर उसे दुख में सहभागी और सदैव सहयोगी होने का अहसास करवाता था ताकि वो परिवार दुख से उभर कर फिर से जीवन की धारा में सबके साथ आगे बढ़े

दुखी परिवार की सहायता कैसे 👇🏻
आदरणीय  शौक के दिनों में आये परिवार /रिश्तेदार व मित्रगण उस परिवार के बारे में मिल बैठकर परामर्श करते थे जिससे शोकाकुल परिवार की मदद हो सके
उदाहरण 👇🏻
शोकाकुल परिवार में आगे कमाने वाला है या नही उनके बच्चों की आयु क्या है बेटे /बेटी की शिक्षा कहा तक हुई उस परिवार की आर्थिक स्थिति क्या है सब पर विचार कर एकमत से निर्णय लिया जाता था
आर्थिक कमजोर को धन /शयिग देकर  रोजगार /कारोबार में मदद

विवाह हेतु बच्चो के विवाह की जिम्मेदारी लेकर

बुजुर्ग को उसकी जरूरत अनुसार मदद कर

रोगी का उपचार करवाकर मदद करना लक्ष्य होता था

क्या मृत्युभोज आवश्यक था ? 👇🏻
जी हां भोजन शरीर के लिये आवश्यक है और शौक के समय भोजन कर पाना बड़ा कठिन कार्य होता है कारण एक तरफ पेट की भूख तो दूसरी और शोकाकुल परिवार का दुःख इसी कारन उसे मृत्युभोज का नाम दिया गया ताकि हर कोई भोजन तो अवश्य करे पर शोकाकुल परिवार की मदद किस तरह की जाए ये अवश्य याद रखे

शुरुवात में मृत्युभोज कैसा था 👇🏻
आदरणीय शुरुवात में मृत्युभोज बेहद सादा और बेस्वाद बनता था कारण दुखी मन से बनाया भोजन कभी स्वादिस्ट हो ही नही सकता और सांत्वना देने हेतु आये बन्धु वहां स्वाद नही बल्कि शोकाकुल परिवार को सांत्वना और मदद  सदैव का प्रयास सदैव करते थे

मिली जानकारी अनुसार उस समय

बच्चे या जवान मौत के समय में सादी दाल या मौसम अनुसार कोई सब्जी बनती थी और रोटी पर घी नही लगाया जाता था

किन्तु
अगर मरने वाला कोई बुजुर्ग हो जिसने अपने जीवन की हर जिम्मेदारी निभा ली हो उसका परिवारजन जीवित और खुशहाल हो तब मृत्युभोज में एक मिष्ठान भी रखा जाता था और इसके पीछे का कारन केवल इतना कि जिम्मेदारी निभाकर अपनी आयु पूर्ण कर दुनिया से विदा होने पर दुख नही अपितु उसके परमधाम जाने की खुशी होती थी और हर कोई यही सोचता था कि मैं भी उनकी तरह अपनी जिम्मेदारी निभाकर और परिवार को खुशहाल देखता हुआ दुनिया से विदा ले सकू

मृत्युभोज का स्वरूप क्यो बिगड़ा क्या है समाधान ? 👇🏻
आदरणीय किसी भी रीति /कुरीति के जनक समाज मे प्रबुद्धजन व धन सम्पन्न बन्धु ही होते है
और ये बन्धु सदैव खुद को समाज से बढ़कर मानते है अब इनके पास धन है और ये धन का सदुपयोग करे या दुरुपयोग इनको रोकना टोकन सब व्यर्थ है कारन दुसरो की सुनना /मानना आदत नही इनकी ये तो वही करेंगे जिसमे इनकी शौहरत /धन का प्रदर्शन हो ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा इनकी तारीफ करे

इन्हें अंतर नही पड़ता शायद किसी के दुख दर्द से बस इसलिये बीते कुछ वर्षों से इन्होंने मृत्युभोज को भी राजसिभोज बना दिया

शौक के समय मृत्युभोज में ये अनेको प्रकार के मिष्ठान व पकवान बनवाने लगे और समाज का माध्यम वर्ग इनकी नकल करते हुए ऐसा ही करने लगा बेसक कर्ज उठाकर मृत्युभोज क्यो न बनवाना पड़े पर बनवाता अवश्य है क्योंकि वो स्वयं को किसी से कम नही समझता
और निम्न वर्ग तो सदैव दुसरो की दया पर जीवित रहा है जैसा दुसरो ने खिलाया खा लिया जैसा दुसरो ने कहा कर दिया जैसे कि उसका कोई अस्तित्व ही नही हो बस दुसरो के अधीन होकर रह गया

इस कुरीति को सुधारने केउपाय ये है  👇🏻

1 स्वयं के प्रण लीजिये किसी के भी यहां मृत्युभोज में किसी प्रकार का राजसी भोजन नही करूँगा बल्कि अन्य कोई विकल्प हो तब तो वहां भोजन ही नही करूँगा करना ही पड़े तब भी पानी या सादा भोजन ही करूँगा अन्य सभी प्रकार के पकवान /मिष्ठान का बहिष्कार करूँगा

2 अपने यहां मृत्युभोज में सादा दाल /सब्जी रोटी ही बनवाऊंगा अन्य किसी प्रकार के मिष्ठान भोजन में नही रखूंगा

3 मेरे अन्य परिवार व मित्रो को भी मृत्युभोज में सादा भोजन ही रखने को प्रेरित करुंगा ताकि आये बन्धु भूखे नही रहे और पूर्वजो द्वारा चलाई रीति की रक्षा भी हो सके

भावार्थ - मृत्युभोज में सिम्पल सादा भोजन ही हो और शोकाकुल परिवार की मदद को लक्ष्य रखे ताकि एक दूसरे के सही मायने में साथी बन सके अपने धन का अनावश्यक प्रदर्शन मृत्युभोज में उचित नही

आज के लिये इतना ही -----


ॐ नमो ----//----

शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2020

उन्नति (लक्ष्य) कैसे प्राप्त करे ?

उन्नति (लक्ष्य
) कैसे प्राप्त करे ?

आदरणीय समाज मे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी उन्नति करना चाहते है इसके लिये दिन रात के अथक परिश्रम को करने के बावजूद भी उन्नति अपनी इच्छा अनुसार नही कर पाते
कारण इंसान का चंचल मन सदैव उसे लक्ष्य से भटकाने का काम करता है

इसके लिये हमें प्रथम ये समझना होगा कि उन्नति चाहिये कौनसी

1 समाजिक उन्नति
(इसमे घर परिवार /रिश्तेदार/मित्र सभी का आपसी सहयोग व इंसान के अपने अच्छे कार्य उन्नति कारक होते है)

2 आध्यात्मिक उन्नति -
( इसमे इंसान दो तरह से उन्नति कर सकता है एक परिवार में रहकर जिम्मेदारी निभाते हुए समय निकाल कर परमात्मा के भजन /आरती /पूजा पाठ/ व दान पुण्य के माध्यम से उन्नति करता है 
दूसरा सन्यास धारण कर यानी घर परिवार त्याग कर परमात्मा की प्राप्ति ( खोज ) में प्रतिदिन तप /जप/ ध्यान आदि के माध्यम से उन्नति करता है ।)

क्या कारन है उन्नति इच्छा /कर्म अनुसार नही हो पाती -
इसके लिये उदाहरण को समझिये

उदाहरण 👇🏻
जैसे एक छोटे बच्चो के समूह को लीजिये उसकी उन्नति का माध्यम है शिक्षा परिवार व अध्यापकों के पूर्ण प्रयास के बावजूद भी कुछ बच्चे सफल और कुछ असफल हो जाते है कारण सफल हुए बच्चो का मन का शिक्षा प्राप्ति में लगा और असफल बच्चों का मन भटका उनका ध्यान शिक्षा प्राप्ति में नही लग पाया ।


यानी कुल मिलाकर इंसान के मन का भटकाव /आलस्य / रोग  आदि उन्नति में रुकावट बनते है

इनसे निजात कैसे पाएं ताकि सम्ह रहते लक्ष्य प्राप्ति हो

1 प्रथम आलस्य का त्याग करें
2 मन को स्थिर यानी कर्म में ध्यान लगाएं
3 रोग का इलाज समय से करवाये
4 शुरुवात में लक्ष्य छोटे (नजदीक) के रखे ताकि आप उनकी सीढ़ी बनाकर अपनी मंजिल (लक्ष्य) तक पहुंच सके

उदाहरण -👇🏻
छोटा बच्चा एक दिन में तेज धावक ( दौड़ने वाला) नही बन सकता वो शुरुआत सहारा लेकर खड़े होने से करता है और फिर बिन सहारे के चलने से लेकर तेज दौड़ लगाने योग्य बन जाता है उसी प्रकार आप छोटे छोटे लक्ष्य को प्राप्त कर बड़ा लक्ष्य ( उन्नति ) हासिल कर पाएंगे

आदरणीय यहां कुछ और भी समझने की आवश्यकता है परिवार में रहकर आध्यात्मिक उन्नति के लिये पहले परिवारिक माहौल को समझना चाहिये क्योंकि धार्मिक विचार परिवार में आपको जो माहौल मिल सकता है वो कुविचार वाले परिवार में नही मिल सकता वहां आप परिवारिक जिम्मेदारी तो आसानी से निभा सकते है पर अध्यात्म के लिये आपको पहले धार्मिक माहौल बनाना होगा या फिर एकांत में ध्यान लगाकर अपने गुरु के बताये मार्गदर्शन से आप उन्नति कर सकते है

घर परिवार के संग रहकर आपको अनेक परिवारजन /अध्यापक /मित्र /बन्धु /बांधवों से मार्गदर्शन /सहयोग मिल जाता है
किन्तु
सन्यास में गुरु के सानिध्य में रहकर या उनकी आज्ञा से आपको अपनी मंजिल तक स्वयं बढ़ना होता है

अतः उन्नति चाहिये तो पहले अपनी मंजिल (लक्ष्य) को पहचानिये क्या चाहिये आपको धन दौलत /परिवार /रिश्तेदार/मित्र /बंगला /गाड़ी या फिर मोह /माया को त्याग  एकांत वास् केवल परमात्मा की प्राप्ति  इच्छा आपकी जो सही लगे आगे बढिये मंजिल (लक्ष्य) तक पहुच जाएंगे

भावार्थ - लक्ष्य से भटकिये मत सच्चाई से कर्म करते चले अपने गुरु /परिवार में विस्वास रखे आप उन्नति करते हुए मंजिल को प्राप्त कर सकते है !

आज के लिये इतना ही बाकी फिर कभी

धन्यवाद

ॐ नमो ---//---

प्रेम (अपनत्व) क्या है?

प्रेम (अपनत्व) क्या है ?

आदरणीय ये तो एक अहसास है अपने (अपनत्व)
होने  का जिसमे आप दुसरो के हित मे सदैव त्याग /समर्पण /सेवा को तैयार रहते है इसमे किसी की आयु /जाति/ रंग/रूप आदि रुकावट नही बनते कभी

कुछ लोग प्रेम को प्रेमिका प्रेमी या पति पत्नी तक सीमित नजरिये से देखते है जोकि उचित नही

प्रेम (अपनत्व) के बिना संसार मे जीवन की कल्पना नही की जा सकती कारण इसके बिन तो सब एक दूसरे के शत्रु ही होंगे जिससे किसी का भला कभी नही हुआ नुकसान बार बार हुआ

आपने देखा होगा कुछ लोग आपके जीवन मे अचानक से सोसल मीडिया या धरातल के माध्यम से आये जिनसे आपका परिवारीक /समाजिक कोई सम्बन्ध नही किन्तु वो अपने कार्यो /विचारों के माध्यम से सदैव आपसे प्रेम (अपनत्व ) प्रकट करते रहते है फिर वो दूर रहे या आपके आस /पास इससे अंतर नही पड़ता क्योकि उन्होंने आपके मनमस्तिष्क में अपने प्रेम (अपनत्व) के लिये स्थान बना लिया है

प्रेम (अपनत्व) को समझने के लिये कुछ उदाहरण दिए है पढिये और अमल कीजिये

1 अपनो से प्रेम (
अपनत्व) -
आदरणीय इसी प्रेम (अपनत्व) की भावना से प्रेरित होकर इंसान सदैव अपने परिवार /रिश्तेदार व मित्रो की सेवा /सहयोग कर सबके हित मे लगा रहता है और एक दूसरे से प्रेम (अपनत्व) ही हमे विकास (उन्नति) की और अग्रसर करते रहे है

2 पड़ोसी का पड़ोसी से प्रेम -
    आपने देखा होगा आपके आपके आस पास ऐसे बहुत से लोग रहते है जिनसे आपका परिवारिक या जातीय कोई रिश्ता नही किन्तु आपके सुख /दुःख में सदैव आपके साथ खड़े रहते है कारण क्या 🤔कारण केवल इतना वो आपको अपना मानते है आपसे प्रेम (अपनत्व) की भावना रखते है इसलिये सदैव आपके सहयोग को तैयार रहते है

3 घर परिवार से दूर प्रेम (अपनत्व) -
घर /परिवार व पड़ोसियों से दूर अकस्मात दुर्घटना का शिकार पीड़ित महिला/पुरुष या बच्चा कोई भी हो उनकी मदद करने जानते है क्यो आते है क्योंकि इंसानियत रूपी प्रेम (अपनत्व) की भावना उन्हें आपकी मदद हेतु प्रेरित करती है

4 सृष्टि से प्रेम (अपनत्व) -
आदरणीय सदियों से इंसान ने पेड़ /पौधे/पशु /पक्षी व जीव जंतुओं की रक्षा सुरक्षा के लिये सदैव प्रयास किया है हालांकि कुछ जगह डर/लालच या अन्य स्वार्थ वश इंसान इन सबका दुश्मन भी बना और परिणाम स्वरूप खुद का जाने /अनजाने में नुकसान भुगत रहा आपने देखा होगा सुबह के समय पक्षी /पशु /और पेड़ पौधे सदैव इंसान को खुशी /सुख का सन्देश देते है हर कोई अपने कर्म को माध्यम बनाकर संसार मे एक सन्देश देता है प्रेम (अपनत्व ) से बढ़कर कुछ नही पेड़ पौधों से आक्सीजन /पक्षियों से मधुर संगीत /पशुओं से दूध /घी /दही /मक्खन आदि यानी सभी से कुछ न कुछ उपहार इंसान को मिलता है इसलिये सबका रक्षण कर अपना कर्तव्य निभाये तभी आप खुशी /सुख पूर्वक रह पाएंगे

भावार्थ - आपस मे सबसे प्रेम (अपनत्व) रखे सबका साथ दे ताकि हर कोई सुख /शांति से रहे और जीवन मे उन्नति करे

किसी के दूर होने से प्रेम (अपनत्व) खत्म कभी नही होता अतः अपने रिश्तो को संजोकर रखे हमेशा  क्योकि इंसान रूपी देह फिर मिले ना मिले कहना सम्भव नही

आज के लिये इतना ही बाकी फिर कभी -------//----------

धन्यवाद

ॐ नमो ---//---

🌸🙏🏻🌸
मार्गदर्शन /लेखक  -  राधा /महेश

गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020

सूर्यान्श सोनी/व्यवसाय/UP-2020

नाम -सूर्यान्श सोनी

गोत्र- आष्ठ
मामा गोत्र- महामनिया
दादी गोत्र- लाम्बा

जन्म तारीख - 05/05/1998
जन्म समय- 5:30 बजे सुबह
जन्म स्थान -------

शिक्षा- 12th  (बाहरवीं पास)

मांगलिक- नही

ऊंचाई- 5"3"

व्यवसाय- ज्वैलरी
आमदनी - -------

रंग- गेहुंवा

पता- --------उत्तरप्रदेश

अपेक्षा- सुंदर सुयोग्य जीवनसाथी

वैवाहिक स्थिति- अविवाहित

उपजाति- मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार

प्राथमिकता- राजस्थान ,उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश

सम्पर्क सूत्र - 
             मैढ़ स्वर्णकार रिश्ते
            9034664991
Https://msrishtey.blogspot.com

बुधवार, 5 फ़रवरी 2020

पक्के साधक (सेवक) कैसे बने ?

पक्के साधक (सेवक) कैसे बने?

आदरणीय आप जानते है इस संसार मे सेवा से बड़ी पूजा कोई नही  सेवा आप तीन प्रकार से कर सकते है
1 तन से
2 धन से
3 मन से

आपका तरीका जो मर्जी रहे पर सेवा करने से पूर्व आपको साधक (सेवक)बनने के भावना/गुण /दृढ़ संकल्प लेने की इच्छा शक्ति होनी चाहिये

साधक (सेवक) भी दो प्रकार के होते है एक वो जो सभी उतार चढ़ाव हर स्थिति /परिस्थितियों में स्वयं को स्थिर रख सके यानी पक्के  साधक

दूसरे वो जिन्हें अभी ज्यादा ज्ञान नही शुरुवाती दौर में है ऐसे साधक शुरुवात तो कर लेते है किंतु साधना (सेवा) के मार्ग में आने वाली रुकावट यानी स्थिति /परिस्थितियों का ज्ञान इन्हें नही हो पाता

इसके लिये एक सुयोग्य /समर्थ गुरु की आवश्यकता सबको पड़ती है आप गुरु किसे चुने ये आपकी
इच्छा व परख (अनुभव) शक्ति पर निर्भर करेगा

आज का विषय पक्के साधक ( सेवक )कैसे बने ?

एक बार एक शिष्य ने अपने गुरु से पूछा गुरु जी सुना है दो प्रकार के साधक (सेवक) होते है क्या ये सही बात है

गुरु ने कहा हाँ सत्य है चलो तुम्हे दिखाकर बताता हूं

गुरु जी अपने शिष्य को एक बुजुर्ग कुम्हार के पास ले गए और बोले हमे पानी के लिये मटका चाहिये
  कुम्हार ने कहा महाराज मेरा शरीर अब बुजुर्ग हो चला है मटके बना नही सकता आप मेरे बेटो के पास जाए वो आपको अच्छा मटका छांटकर दे देंगे

गुरु शिष्य पहले छोटे बेटे के पास गए बोले पानी के लिये मटका दीजिये छोटे बेटे ने कहा महाराज में आपको पक्का मटका देने में असमर्थ हु कारण मेरे बुजुर्ग पिता से मैंने मटका बनाने की कला तो सीख ली पर मटका पकाना मैं नही जानता हूं और बड़े भाई से मैं किसी कारन वश सीखना नही चाहता अतः क्षमा करें आप मेरे बड़े भाई के पास जाए वो आपको पानी के लिये अच्छा मटका उपलब्ध करा देंगे

फिर गुरु जी और शिष्य कुम्हार के बड़े बेटे के पास गए और कहा पानी के लिये मटका दीजिये
  उसने कहा महाराज कितने चाहिये गुरु जी ने कहा पहले दिखाओ कैसे बने है फिर ले भी लेंगे कुम्हार के बड़े बेटे ने कुछ मटके अलग अलग रख दिये और उनमें से दो मटके उठाकर कहा महाराज ये लीजिये ये कच्चा है ठीक से पकाई नही हुई बिखर सकता है और दूसरा मटका पका हुआ है अच्छा रहेगा गर्मी में पानी ठंडा रहेगा इसमे

गुरु ने कहा तुन्हें कैसे पता पानी ठंडा रहेगा इस मटके में  तब कुम्हार के बड़े बेटे ने कहा महाराज कुम्हार का बेटा हु मिट्टी के प्रकार व गुण को जानता हूं और मटका बनाने का कार्य बीते 20 साल से कर रहा हु इसलिये निश्चिंत होकर मेरा दिया मटका ले जाये पानी ठंडा रहेगा गर्मी के दिनों में

गुरु शिष्य ने मटका लिया और वापिस आश्रम पहुंच गए

गुरु ने शिष्य से पूछा क्या शिक्षा मिली बताओ

तब शिष्य ने कहा गुरु जी मुझे समझ आ गया है कि उन दोनों के गुरु (पिता) एक होते हुए भी छोटा बेटा कच्चा (अधूरे ज्ञान वाला) रह गया और बड़ा बेटा (मटका बनाने की कला को पूर्ण सीखकर) पक्का बन चुका

अब से प्रयास करुंगा आपके सानिध्य से मिले ज्ञान (कला) को मैं पूर्ण सीखकर हर स्थिति /परिस्थिति में अडिग रहकर  जनहित में साधना/ सेवा (सदमार्ग )को अपना सकू ताकि सबका भला हो


भावार्थ - आपके गुरु कोई भी हो उनसे मिले ज्ञान को पूर्ण सीखकर  जनहित में लगाये तभी आप पक्के साधक (सेवक)  कहलायेंगे अन्यथा कच्चे मटके की तरह बिखरना सम्भव ।

धन्यवाद

ॐ नमो---//---

सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

आपका जीवनसाथी कौन?

आपका जीवनसाथी कौन ?

आदरणीय आपने पढा सही है किन्तु अधिकतर बन्धु पत्नी को ही जीवनसाथी मानते है

जीवनसाथी का अर्थ है जन्म से मरण तक जो साथ दे वही इंसान का जीवनसाथी होता है ऐसा हमारा मत है

जबकि पत्नी विवाह के उपरांत ही जीवन मे आती है और परमात्मा ने सबके आने जाने का अलग अलग समय निर्धारित किया ऐसे में कौन कब बिछड़ जाए या कौन किसे मिल जाये कहना सम्भव नही अर्थात पत्नी कुछ समय जीवनसाथी हो सकती है पर जनक से मरण तक नही

इंसान के जन्म के बाद संरक्षक और साथी 👇🏻

माँ (संरक्षक)
पिता (संरक्षक)
भाई
बहन
दोस्त
पत्नी
बेटा
बेटी
 व अन्य रिश्ते नातो से बंधे इंसान

संरक्षक -  आदरणीय इंसान जीवन मे भले जैसे मर्जी कर्म करे पर उसके माँ पिता सदैव उसके भले हेतु उसकी जरूरतों हेतु सहयोग /मार्गदर्शन भी करते है और बुरी आदतों /कर्मो से उसका रक्षण कर उसे सही मार्ग पर लाने का प्रयास भी करते है इसलिये माँ पिता इंसान के संरक्षक ही हुए

साथी - आदरणीय इंसान के जन्म के बाद मिले भाई /बहन /दोस्त उसके साथी सदैव रहे है पर जीवनसाथी नही बन सकते कारण सबकी अपने अपने लक्ष्य होते है और हर किसी को एक पड़ाव के बाद अपनी जिम्मेदारी निभानी भी पड़ती है ऐसे में सदैव सबका का साथ देना सम्भव नही इसलिये ये सभी इंसान के साथी ही कहलाते है

जीवनसाथी - आदरणीय हर कोई पति /पत्नी को एक दूसरे का जीवनसाथी कहता है कारण विवाह उपरांत दोनो मिल कर एक दूसरे का साथ निभाने का प्रयास करते है हमारा मानना है विवाह के बाद जीवन की एक नई शुरुवात इंसान करता है जिसमे पति/पत्नी एक दूसरे के साथी भी बनते है पर साथ कब तक कहा तक निभेगा ये कोई नही जानता क्योकि परमात्मा के नियम इंसान की सोच /समझ से परे है आज भी संसार मे अनेको ऐसे मिलेंगे जिसमे किसी की पत्नी किसी के पति उनसे पहले संसार त्याग चले गए यानी अब उनके जीवनसाथी पास नही इसलिये पति/ पत्नी भी जीवनसाथी नही ऐसा हमारा मत है

बेटा /बेटी /दोस्त व अन्य रिश्ते नाते -    आदरणीय जीवन मे हर किसी को एक समय बाद अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है ऐसे में बेटा/बेटी/दोस्त या अन्य कोई भी हो सबके साथ इंसान की दूरियां बनना स्वभाविक ही है अतः ये सब भी जीवनसाथी नही


कहने का तातपर्य ये सब जीवनसाथी नही तो फिर जीवनसाथी कौन? 🤔😇


आदरणीय इंसान का *जीवनसाथी* उसका अपना शरीर ही है अन्य कोई नही कारण आप कैसे हो क्या करते हो क्यो करते हो इन सबसे शरीर को मतलब नही ये तो केवल वही करता है जो आप चाहते है अच्छा करे या गलत वो आपकी इच्छा /स्वभाव पर निर्भर करता है

शरीर (जीवनसाथी) को स्वस्थ कैसे रखे-  🤔👇🏻

1 सुबह उठकर बिस्तर पर बैठे बैठे परमात्मा को प्रणाम कर दिन की शुरुवात करे तदुपरांत अपना बासी थूक आंखों में लगाये ऐसा करने से आपको आंखों सम्बंधित कोई रोग नही होगा और आपकी नेत्रज्योति सदैव अच्छी बनी रहेगी  ।

2 मौसम अनुसार स्वच्छ ताजा पानी पेटभर पीकर शौच के लिये जाए ऐसा करने से आपका पेट अच्छे स्व साफ होगा और पेट मे गर्मी या अन्य रोग नही होंगे आदरणीय जिस इंसान का पेट स्वस्थ हो उसे किसी प्रकार के रोग नही आते ऐसा बहुतों का अनुभव कहता है

3 आप सुबह /शाम योग/ व्यायाम करे अपने मन मे सदैव अच्छे विचार रखे ,सदैव शुद्ध ताजा भोजन करे और अच्छे लोगो के सम्पर्क में रहे ताकि आप सदमार्ग पर चलते हुए सदैव स्वस्थ बने रहे


भावार्थ - शरीर (जीवनसाथी) स्वस्थ हो तभी आप अपनी व दुसरो की मदद की कर सकते है और  भजन /शुद्ध भोजन /एवं अच्छे कर्मों द्वारा आप इस जीवनसाथी को खुश रखेंगे तभी आप स्वयं भी खुशियों को हासिल कर पाएंगे
     अन्यथा आपका धन/रुतबा/परिवार व अन्य वो सब जिसपर आपको घमंड हो वो सब आपको अकेला छोड़ चले जायेंगे

अभी के लिये इतना ही बाकी अगले लेख में ------

धन्यवाद


ॐ नमो---///----

मार्गदर्शन /लेखक - दीप भाई / महेश

रविवार, 2 फ़रवरी 2020

गौरव सोनी/सर्विस/MP-2020

नाम - गौरव सोनी

गोत्र- मुण्डक
मामा गोत्र- अडानिया

जन्म दिनांक - 31/10/1990
जन्म समय - 10:30 am
जन्म स्थान - ------- मध्यप्रदेश

ऊंचाई - 5'10"

रंग - गोरा

ब्लड ग्रुप -  A+ ve

शिक्षा -  बी ई  (कम्प्यूटर साइंस)

जॉब - आई टी कम्पनी , मुम्बई
पैकेज - 9.00लाख वार्षिक

पता ---------- मध्यप्रदेश

अपेक्षा -सुंदर सुयोग्य जीवनसाथी

वैवाहिक स्थिति - अविवाहित

उपजाति - मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार

सम्पर्क सूत्र -
             
मैढ़ स्वर्णकार रिश्ते
9034664991
Https://msrishtey.blogspot.com

क्या प्यार धोखा है?

क्या प्यार धोखा है ?

जी हां आदरणीय आपने सही पढा आजकल प्यार के नाम पर देश भर में जो चल रहा अधिकांश मामलों में वो धोखा ही है

आदरणीय पहले tv और अब मोबाइल पर जिस प्यार का दिखावा हो रहा ये प्यार नही भृम /धोखा ही है

आपने सुना होगा टीवी मोबाइल के आने से पहले प्यार नही प्रेम किया जाता था सृस्टि में विधमान जीव जंतु व सभी से और प्रेम के वशीभूत सबका रक्षण भी इंसान सदैव करता था

सोच /समझकर हमारी बात पर अमल करें
कहा गया वो परिवारों का आपसी प्रेम 🤔
कहा गए प्रकृति अनमोल जीव /जंतु /पेड़ पौधे  है क्या पहले की भांति नही मिलेंगे कहि जानते है क्यो क्योकि अब प्रेम नही प्यार के नाम पर धोखा हो रहा

बॉय फ्रेंड अपनी गर्लफ्रेंड को धोखा दे रहा तो कही गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड के साथ खिलवाड़ कर ठगती जा रही ये सब लव /प्यार का परिणाम है

प्रेम तो पहले हुआ करता था जिसके अनेको उदाहरण समाज मे आज भी सुनने को मिलते है

मीरा का मोहन से
राधा का कृष्ण से
ऐसे और बहुत से नाम है जिनका आप सबने सुना /पढा होगा


क्या अंतर है प्रेम और प्यार में 👇🏻
प्यार सदैव कुछ पाने की लालसा से किया जाता है बेसक जिस्म /धन या अन्य कुछ

जबकि
प्रेम में पाने की लालसा कम और देने (समर्पण) की इच्छा सदैव बलवती रहती है मीरा ने मोहन के प्रेम में भक्तिमार्ग को चुन अपना समय /निजस्वार्थ से ऊपर उठकर श्याम में विलीन हुई यही उनका प्रेम था

राधा ने कृष्ण के प्रेम में अपनी निजस्वार्थ को त्याग सदैव श्री कृष्ण का साथ दिया भले श्री कृष्ण ने जब वृंदावन को छोड़ कंस वध के लिये मथुरा जाना था तब का किसी से सुन लीजिये या श्रीकृष्ण की पटरानी रुक्मणी तो फिर राधा क्यो नही 🤔जबकि प्रेम तो श्रीकृष्ण ने भी राधा से किया

प्रेम त्याग करता है सबकी रक्षा सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया जाता है जबकि प्यार (लव)
में ऐसा सम्भव नही


भावार्थ - आप अपने परिवार व प्रकृति से प्रेम कीजिये और अपने युवा बच्चो को प्यार रूपी धोखे से सतर्क रहने में मदद कीजिये ताकि आपके घर परिवार में खुशियां सदैव बनी रहे


ॐ नमो ----//----

मार्गदर्शन /लेखक -  चमेली /महेश

शनिवार, 1 फ़रवरी 2020

दो दोस्तों की चाहत

दो दोस्तों की चाहत


आदरणीय ये कहानी है दो बच्चों की जिनका इच्छा अपनो से प्रेम /सम्मान व अधिक धन पाना था

दोनो खुद को जीवन मे संघर्ष हेतु तैयार कर आगे बढ़ रहे थे

एक ने डॉक्टरी को लक्ष्य बनाया जिसमे उसके पिता ने सहयोग कर उसे डॉक्टर बना दिया काफी हॉस्पिटल में सेवाएं देकर आज स्वयं का बड़ा हॉस्पिटल अच्छे से चला रहा है इसे गाड़ी /बंगला (महल)/धन जैसी इच्छाएं पूर्ण करने का अवसर मिल चुका

दूसरे की कुछ कारण से पढ़ाई छूट गई उसने व्यवसाय को लक्ष्य बना आगे बढ़ ही रहा था कि उसके जीवन मे आये बढ़े भूचाल ने उसे लक्ष्य से भटका दिया वर्षो के संघर्ष का लाभ मिलने की जगह अब वो नए लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ रहा उसके जीवन मे गाड़ी /बंगला (महल) /धन का महत्व बेहद कम व जनहित कार्य ज्यादा महत्वपूर्ण हो चुका

दोस्ती की परीक्षा -
व्यवसायी मित्र के आये भूचाल ने उसे जीवन मरण के बीच ऐसा उलझा दिया कि उसका जिंदा रहना भी मरे समान ही था एक बार तीन दिन तक उसने अन्न जल ग्रहण नही किया जिससे उसके हालात बिगड़ते ही चले गए

हड्डियों तक को कंपाने वाली रात वो मरणासन्न अवस्था मे मृत्यु का इंतजार कर परिवार को रोते देख तो सकता था पर कर कुछ नही सकता ऐसे में उसके पिता को उसके मित्र डॉक्टर का ख्याल आया और रात लगभग 11बजे बुलाने पहुंच गए
  डॉक्टर मित्र के पिता ने तुरंत उसे बुलाया और भाई के जीवन रक्षार्थ साथ भेज दिया यहाँ समझने की जरूरत ये की डॉक्टर अपनी नवविवाहिता को रात्रि में अकेला छोड़ अपने भाई (मित्र) को बचाये या नही खैर उसने भाई के जीवन को बचाने का प्रयास करना था इसलिये तुरन्त साथ चल आया

अब व्यवसायी मित्र के रोग से सम्बंधित इलाज को सोचना आवश्यक था और रात्रिं के उस पहर में उसके पास इलाज सम्बंधित दवा व अपने ओजार तक नही 😇ऐसे में उपचार कैसे सम्भव हो ?

अचानक व्यवसायी मित्र के पिता ने डॉक्टर मित्र को कहा अगर उसके (व्यवसायी) डॉक्टर से बात करवा दे तो क्या ये बच पायेगा ?

डॉक्टर ने भी कहा हा बात बन सकती है प्रयास करने में हर्ज ही क्या है दोनो डॉक्टरों की आपस मे बात करवाई गई कॉल पर बताये गए उपचार को डॉक्टर मित्र ने तुरंत कागज पर लिखकर दवा लाने का कहा
   व्यवसायी के पिता और भाई ठंड की परवाह ना कर दवा लेने चले गए दवा आने पर डॉक्टर मित्र ने अपने भाई (मित्र) को कुछ घण्टे के लिये बचा भी लिया बाकी का उपचार व्यवसायी के डॉक्टरों ने किया  अब वर्षो बीत चुके है पर व्यवसायी अपने भाई (मित्र)  के योगदान को भुला नही

दो दोस्त जो कभी एक दूसरे के भाई समान थे आज दोनो के बीच समाजिक / आर्थिक बड़ा अंतर आ चुका

डॉक्टर की चाहत-  धन /परिवार/गाड़ी/ शौहरत सब पूरी हो रही परमात्मा उसे जीवन मे अनेक खुशियां व उन्नति प्रदान करे

व्यवसायी की चाहत- अब बदल चुकी धन /गाड़ी /बंगला उसके लिये महत्वपूर्ण नही आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय कर जनहित में प्रयास कर रहा आर्थिक /समाजिक अनेक कारण उसके लक्ष्य के बीच बड़ी रुकावट बने है देखते है परमात्मा उससे और क्या चाहता है

सारांश - आप जिसे भी दोस्त बनाये उससे दूरी कभी मत रखिये कारण  दोस्त (मित्र )ही इंसान को आगे बढ़ने की प्रेरणा देकर  अपना मित्रधर्म निभाते है बशर्ते आपके मित्र अच्छे ओर समझदार हो

सोचना ये की क्या वो दोनो दोस्त कभी पहले की भांति मिल साथ बैठ पाएंगे कभी 🤔

धन्यवाद

ॐ नमो---//----

चुनिंदा पोस्ट

 https://primetrace.com/group/20043/home?utm_source=android_quote_share&utm_screen=quote_share&referral_code=NZYCU&utm_referrer_...