रविवार, 16 फ़रवरी 2020

जीवन मरण क्या है ?

जीवन मरण क्या है ?

किसकी मृत्यु कब होगी जानने के लिए लेख को अंत तक पढ़े

आदरणीय आत्मा अजर अमर अविनाशी है ये आप हम बहुत बार सुनते रहे है यानी आत्मा का ना जन्म होता है और ना मरण ,
आत्मा ना कभी बूढ़ी होती है ना ही जवान क्योकि आत्मा निराकार है जैसे शरीर को धारण करती है उसमे जब तक रहेगी वही उसका स्वरूप कह सकते है ,
जिसका जन्म नही उसका मरण नही जो कभी युवा नही वो कभी वृद्ध नही इसलिये आत्मा अविनाशी हुई अतः आत्मा द्वारा नया शरीर धारण करना जन्म है और उस शरीर का त्याग (प्राण वायु का निकल जाना) मरण

इतना सब जानने के बाद हर कोई जानना चाहेगा कि जन्म मरण का रहस्य क्या 👇🏻
आत्मा परमात्मा के आदेशानुसार अनेको प्रकार के शरीर धारण करती है किस शरीर मे किस आत्मा द्वारा किस तरह के कर्म किये ये अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि उस शरीर के नष्ट होने पर आत्मा जब पुनः नवशरीर में प्रवेश करेगी तब पूर्वशरीर(जन्म) के कर्म आधार पर उसको फल मिलना है जिसके पूर्व शरीर (जन्म) ने अच्छे कर्म किये हो उन्हें अनेको प्रकार से लाभ मिलते देखा है जबकि मौजूदा शरीर मे रहकर उन्होंने ऐसा कोई कर्म नही किया जिसके फल स्वरूप उन्हें वो सब मिले

उदाहरण - नन्हे मासूम बच्चे के पूर्वशरीर के अच्छे कर्म के फलस्वरूप नवशरीर ( जन्म )योनि पर मिलने वाले परिवार /सम्पति में हकदार /एवं अन्य कुछ सम्भव

आपने देखा होगा  संसार मे आत्माएं दो प्रकार के शरीर धारण करती है
एक वो शरीर जो जन्म से मरण तक स्वयं एक स्थान से दूसरे स्थान पर विचरण व अनेको कार्य /क्रिया  करता है और शरीर के मरण (सांसारिक मृत्यु) होने पर स्वयं कुछ नही कर पाता बल्कि अन्य शरीरों में मौजूद आत्माएं उस शरीर को नष्ट कर देती है ताकि पुनः नवशरीर में वो आत्मा फिर से विचरण कर सके
उदाहरण - पशु /पक्षी /मानव एवं अन्य जीव जंतु



 दूसरे मौजूदा शरीर मे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ना तो विचरण करती है ना ही स्वयं अन्य कुछ कर पाती है उस शरीर के साथ अन्य शरीर मे मौजूद आत्माएं क्रिया कर जीवन को एक गति प्रदान करती है
 उदाहरण -पहाड़ /पेड़ /पौधे   जोकि स्वयं कुछ नही कर सकते किन्तु उनमे भी जीवन है तभी तो हम सभी को फल /फूल /जड़ी बूटियां व बेशकीमती रत्न आदि प्राप्त होते रहते है और उनका मरण (वो शरीर) समाप्त होते ही वो आत्माएं फिर परमात्मा के आदेशानुसार नवशरीर को धारण करती है

किसकी मृत्यु कब होगी ? 👇🏻

आदरणीय इसका जवाब किसी भी इंसान के पास नही कारण किस पल कब क्या होगा आप हम सोच तो सकते है पर कर पाए या नही ये परमात्मा की इच्छा पर निर्भर है
उदाहरण -आपने सुना होगा कण कण पर लिखा खाने वाले का नाम यानी आपके आगे रखी थाली का भोजन आप खा पाए या नही ये आपको ज्ञात नही हो सकता है अन्य आपका मित्र साथ खाने लग जाये उसे रोक तो नही सकते ना  दोनो अपने भाग्य अनुसार खा पाएंगे ना कम ना ज्यादा

कल कही पढा की शरीर जब रहने लायक नही हो तब आत्मा शरीर का त्याग कर नया शरीर धारण करती है यानी उस शरीर की मृत्यु हो जाती है

ये पूर्ण सत्य नही कारण आपने देखा सुना होगा प्रति दिन घटना /दुर्घटनाओं में छोटे मासूम से लेकर युवा व वृद्ध तक की मृत्यु हो रही है
सोचिये क्या नवजात /युवा का शरीर रहने लायक नही था अवशय था किंतु पूर्व शरीर मे किये कर्मो के आधार पर उनके नवशरीर के जन्म मरण का समय निर्धारित था इसलिये ऐसा हुआ

सारांश - सृष्टि में मौजूद आत्माओं द्वारा जितने भी शरीर धारण करने /छोड़ने के समय को उनके कर्म आधार पर मिले समय को जीवनकाल यानी जन्म मरण कह सकते है अतः भाव इतना कि मानव शरीर बड़े भाग्य से मिलता है जब तक आपके पास समय है तब तक सदैव अच्छे कर्म करे ताकि इस शरीर के बाद आप परमात्मा में विलीन हो सके या फिर नवशरीर में अच्छा जीवन जी सके

स्वर्ग और नरक भी यही है अन्यत्र कही नही आप अनेको योनियों में मौजूद शरीर की दशा दिशा देखकर उनकी स्थिति का जान सकते है ।।

कटु सत्य किसी भी मानव ने अभी तक वो साइंस नही बनाई जो परमात्मा के सम्पूर्ण रहस्यों को जान सके

कागज की डिग्रियां हो या धरातल के अनुभव दोनो ही परमात्मा की साइंस के आगे बहुत छोटे है अतः परमात्मा में विस्वास कर अच्छे कर्म करते जाओ बाकी परमात्मा की इच्छा

आज के लिये इतना ही बाकी फिर

लेख पढ़ने के लिये आपका धन्यवाद

ॐ नमो---//---



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