उन्नति (लक्ष्य
) कैसे प्राप्त करे ?
आदरणीय समाज मे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी उन्नति करना चाहते है इसके लिये दिन रात के अथक परिश्रम को करने के बावजूद भी उन्नति अपनी इच्छा अनुसार नही कर पाते
कारण इंसान का चंचल मन सदैव उसे लक्ष्य से भटकाने का काम करता है
इसके लिये हमें प्रथम ये समझना होगा कि उन्नति चाहिये कौनसी
1 समाजिक उन्नति
(इसमे घर परिवार /रिश्तेदार/मित्र सभी का आपसी सहयोग व इंसान के अपने अच्छे कार्य उन्नति कारक होते है)
2 आध्यात्मिक उन्नति -
( इसमे इंसान दो तरह से उन्नति कर सकता है एक परिवार में रहकर जिम्मेदारी निभाते हुए समय निकाल कर परमात्मा के भजन /आरती /पूजा पाठ/ व दान पुण्य के माध्यम से उन्नति करता है
दूसरा सन्यास धारण कर यानी घर परिवार त्याग कर परमात्मा की प्राप्ति ( खोज ) में प्रतिदिन तप /जप/ ध्यान आदि के माध्यम से उन्नति करता है ।)
क्या कारन है उन्नति इच्छा /कर्म अनुसार नही हो पाती -
इसके लिये उदाहरण को समझिये
उदाहरण 👇🏻
जैसे एक छोटे बच्चो के समूह को लीजिये उसकी उन्नति का माध्यम है शिक्षा परिवार व अध्यापकों के पूर्ण प्रयास के बावजूद भी कुछ बच्चे सफल और कुछ असफल हो जाते है कारण सफल हुए बच्चो का मन का शिक्षा प्राप्ति में लगा और असफल बच्चों का मन भटका उनका ध्यान शिक्षा प्राप्ति में नही लग पाया ।
यानी कुल मिलाकर इंसान के मन का भटकाव /आलस्य / रोग आदि उन्नति में रुकावट बनते है
इनसे निजात कैसे पाएं ताकि सम्ह रहते लक्ष्य प्राप्ति हो
1 प्रथम आलस्य का त्याग करें
2 मन को स्थिर यानी कर्म में ध्यान लगाएं
3 रोग का इलाज समय से करवाये
4 शुरुवात में लक्ष्य छोटे (नजदीक) के रखे ताकि आप उनकी सीढ़ी बनाकर अपनी मंजिल (लक्ष्य) तक पहुंच सके
उदाहरण -👇🏻
छोटा बच्चा एक दिन में तेज धावक ( दौड़ने वाला) नही बन सकता वो शुरुआत सहारा लेकर खड़े होने से करता है और फिर बिन सहारे के चलने से लेकर तेज दौड़ लगाने योग्य बन जाता है उसी प्रकार आप छोटे छोटे लक्ष्य को प्राप्त कर बड़ा लक्ष्य ( उन्नति ) हासिल कर पाएंगे
आदरणीय यहां कुछ और भी समझने की आवश्यकता है परिवार में रहकर आध्यात्मिक उन्नति के लिये पहले परिवारिक माहौल को समझना चाहिये क्योंकि धार्मिक विचार परिवार में आपको जो माहौल मिल सकता है वो कुविचार वाले परिवार में नही मिल सकता वहां आप परिवारिक जिम्मेदारी तो आसानी से निभा सकते है पर अध्यात्म के लिये आपको पहले धार्मिक माहौल बनाना होगा या फिर एकांत में ध्यान लगाकर अपने गुरु के बताये मार्गदर्शन से आप उन्नति कर सकते है
घर परिवार के संग रहकर आपको अनेक परिवारजन /अध्यापक /मित्र /बन्धु /बांधवों से मार्गदर्शन /सहयोग मिल जाता है
किन्तु
सन्यास में गुरु के सानिध्य में रहकर या उनकी आज्ञा से आपको अपनी मंजिल तक स्वयं बढ़ना होता है
अतः उन्नति चाहिये तो पहले अपनी मंजिल (लक्ष्य) को पहचानिये क्या चाहिये आपको धन दौलत /परिवार /रिश्तेदार/मित्र /बंगला /गाड़ी या फिर मोह /माया को त्याग एकांत वास् केवल परमात्मा की प्राप्ति इच्छा आपकी जो सही लगे आगे बढिये मंजिल (लक्ष्य) तक पहुच जाएंगे
भावार्थ - लक्ष्य से भटकिये मत सच्चाई से कर्म करते चले अपने गुरु /परिवार में विस्वास रखे आप उन्नति करते हुए मंजिल को प्राप्त कर सकते है !
आज के लिये इतना ही बाकी फिर कभी
धन्यवाद
ॐ नमो ---//---
) कैसे प्राप्त करे ?
आदरणीय समाज मे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी उन्नति करना चाहते है इसके लिये दिन रात के अथक परिश्रम को करने के बावजूद भी उन्नति अपनी इच्छा अनुसार नही कर पाते
कारण इंसान का चंचल मन सदैव उसे लक्ष्य से भटकाने का काम करता है
इसके लिये हमें प्रथम ये समझना होगा कि उन्नति चाहिये कौनसी
1 समाजिक उन्नति
(इसमे घर परिवार /रिश्तेदार/मित्र सभी का आपसी सहयोग व इंसान के अपने अच्छे कार्य उन्नति कारक होते है)
2 आध्यात्मिक उन्नति -
( इसमे इंसान दो तरह से उन्नति कर सकता है एक परिवार में रहकर जिम्मेदारी निभाते हुए समय निकाल कर परमात्मा के भजन /आरती /पूजा पाठ/ व दान पुण्य के माध्यम से उन्नति करता है
दूसरा सन्यास धारण कर यानी घर परिवार त्याग कर परमात्मा की प्राप्ति ( खोज ) में प्रतिदिन तप /जप/ ध्यान आदि के माध्यम से उन्नति करता है ।)
क्या कारन है उन्नति इच्छा /कर्म अनुसार नही हो पाती -
इसके लिये उदाहरण को समझिये
उदाहरण 👇🏻
जैसे एक छोटे बच्चो के समूह को लीजिये उसकी उन्नति का माध्यम है शिक्षा परिवार व अध्यापकों के पूर्ण प्रयास के बावजूद भी कुछ बच्चे सफल और कुछ असफल हो जाते है कारण सफल हुए बच्चो का मन का शिक्षा प्राप्ति में लगा और असफल बच्चों का मन भटका उनका ध्यान शिक्षा प्राप्ति में नही लग पाया ।
यानी कुल मिलाकर इंसान के मन का भटकाव /आलस्य / रोग आदि उन्नति में रुकावट बनते है
इनसे निजात कैसे पाएं ताकि सम्ह रहते लक्ष्य प्राप्ति हो
1 प्रथम आलस्य का त्याग करें
2 मन को स्थिर यानी कर्म में ध्यान लगाएं
3 रोग का इलाज समय से करवाये
4 शुरुवात में लक्ष्य छोटे (नजदीक) के रखे ताकि आप उनकी सीढ़ी बनाकर अपनी मंजिल (लक्ष्य) तक पहुंच सके
उदाहरण -👇🏻
छोटा बच्चा एक दिन में तेज धावक ( दौड़ने वाला) नही बन सकता वो शुरुआत सहारा लेकर खड़े होने से करता है और फिर बिन सहारे के चलने से लेकर तेज दौड़ लगाने योग्य बन जाता है उसी प्रकार आप छोटे छोटे लक्ष्य को प्राप्त कर बड़ा लक्ष्य ( उन्नति ) हासिल कर पाएंगे
आदरणीय यहां कुछ और भी समझने की आवश्यकता है परिवार में रहकर आध्यात्मिक उन्नति के लिये पहले परिवारिक माहौल को समझना चाहिये क्योंकि धार्मिक विचार परिवार में आपको जो माहौल मिल सकता है वो कुविचार वाले परिवार में नही मिल सकता वहां आप परिवारिक जिम्मेदारी तो आसानी से निभा सकते है पर अध्यात्म के लिये आपको पहले धार्मिक माहौल बनाना होगा या फिर एकांत में ध्यान लगाकर अपने गुरु के बताये मार्गदर्शन से आप उन्नति कर सकते है
घर परिवार के संग रहकर आपको अनेक परिवारजन /अध्यापक /मित्र /बन्धु /बांधवों से मार्गदर्शन /सहयोग मिल जाता है
किन्तु
सन्यास में गुरु के सानिध्य में रहकर या उनकी आज्ञा से आपको अपनी मंजिल तक स्वयं बढ़ना होता है
अतः उन्नति चाहिये तो पहले अपनी मंजिल (लक्ष्य) को पहचानिये क्या चाहिये आपको धन दौलत /परिवार /रिश्तेदार/मित्र /बंगला /गाड़ी या फिर मोह /माया को त्याग एकांत वास् केवल परमात्मा की प्राप्ति इच्छा आपकी जो सही लगे आगे बढिये मंजिल (लक्ष्य) तक पहुच जाएंगे
भावार्थ - लक्ष्य से भटकिये मत सच्चाई से कर्म करते चले अपने गुरु /परिवार में विस्वास रखे आप उन्नति करते हुए मंजिल को प्राप्त कर सकते है !
आज के लिये इतना ही बाकी फिर कभी
धन्यवाद
ॐ नमो ---//---
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