समाज पतन के जिम्मेदार कौन ?
आदरणीय समाज पतन के अनेक कारण रहे हैं जिनमे से आज नीचे लिखे कारण समझकर ही पतन को रोक पाएंगे
1 परिवार -
आदरणीय एक समय था जब सभी परिवार संगठित होकर रहना पसंद करते थे किंतु गाँव /शहर से दूर नोकरी/व्यवसाय हेतु /पुश्तेनी सम्पति के बंटवारे /आपसी वैचारिक मतभेद आदि कारणों से परिवार सिमट कर हम दो हमारे दो तक ही रह गए है और आपसी दूरियां बढ़ने से आज हालात ये है कि विवाह की उम्र निकल जाने पर भी बच्चे /बच्ची के विवाह नही हो रहे
2 व्यापार /व्यापारी -
आदरणीय एक समय घ जब मालिक नॉकर के बीच पिता -पुत्र /भाई भाई जैसा रिश्ता होता था और सुख दुख में सदैव एक दूसरे का सहारा बनते थे नॉकर व्यापारी का काम लग्न /मेहनत से करता था और व्यापारी उसके सुख दुख में आर्थिक व अन्य मदद करता था जोकि नॉकर को वापिस करने की चिंता कभी नही रही किन्तु आज व्यापारी नॉकर से ज्यादा काम करवाना चाहता है मेहनताना पूरा देता नही /वही नॉकर मेहनताना ज्यादा और काम करना चाहता है परिणाम दोनो ही अत्यधिक स्वार्थी बनकर रह गए इसलिये आज बेरोजगारी जैसी स्थिति बन गई
3 समाजिक संगठन -
आदरणीय समाजिक संगठन सदैव समाजहित जरूरतमंद की मदद एवं समाज उत्थान के लक्ष्य से बनते अवश्य है और गरीब /अमीर सभी सहयोग भी करते है किंतु संगठनों में धनी को पद /मंच/माला /माइको से लगाव है और गरीब को अहमियत कोई देना चाहता नही इसलिये उसका शोषण ही पदाधिकारीअनेक तरह से करते है सरकार से मिलने वाली सुविधा / सहायता हो या समाज से मिला चन्दा सब पर धनी अधिकार जमाकर बैठ जाते है
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4 धार्मिक संगठन -
आदरणीय एक समय था जब आज की तरह धार्मिक संगठन नही थे बल्कि ऋषि /महृषि /गुरुजन अपनी कुटिया /आश्रम में ही शिष्यों को धर्म की शिक्षा /आमजन को धर्म प्रवचन देकर धर्म का प्रसार करते थे उन्हें आज की भांति धन /पद या राजनीति में रुचि एक हद तक ही होती थी किन्तु आजकल धर्म को भी कुछ ने व्यापार बना रखा है और भक्त जन दिल खोलकर धन देने लगते है परिणाम जरूरतमंद को मदद नही मिल रही और धार्मिक संगठन करोड़ो /अरबो की सम्पति बनाकर बैठ गए
5 राजनीति संगठन -
आदरणीय किसी भी देश /राज्य की उन्नति /पतन के पीछे ये संगठन बड़े जिम्मेदार होते है राजनीति कोई करे किन्तु उसका लक्ष्य देश /राज्य के हित मे होनी चाहिये किन्तु दुर्भाग्य की बात है राजनीति में कुछ विपक्षियों को देश /राज्य /ग्राम की चिंता नही होती वो तो केवल विरोध करना जानते है ताकि आमजन भृमित रहे और उनकी राजनीतिक पहचान बनी रहे इसके बदले बेसक देश /राज्य का पतन हो उन्हें परवाह नही
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6 मीडिया/सोशल मीडिया -
आदरणीय किसी भी देश की उन्नति /पतन के लिये ये भी बराबर का जिम्मेदार है इसी के माध्यम से आमजन को सूचनाएं मिलने लगी है और इसके साथ जुड़े बन्धु जैसा प्रचार करेंगे ठीक वैसा ही असर देश /राज्य की जनता के दिमाग मे होगा अगर है देश /राज्य की उन्नति के उद्देश्य से अच्छी जानकारी /सूचनाएं /फ़िल्म /नाटक दिखाए तब तो हर कोई उन्नति के राह पर चलेगा और वही सोशल मीडिया /मीडिया के माध्यम से आमजन को भृमित /झूठी जानकारी /अश्लील प्रोग्राम /फ़िल्म आदि का प्रसार होगा तो निश्चित ही देश /राज्य का पतन होगा
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7 युवापीढ़ी -
आदरणीय किसी भी देश /राज्य का युवा उसका भविष्य निर्धारित करता है और बचपन से जवानी तक इसने जो सीखा /समझा उसी अनुरूप ये कार्य करता है जिसका परिणाम देश /राज्य को मिलता है इसलिये हर युवा को चाहिये सदैव अच्छा सीखे अच्छे कार्य करने का प्रयास करे और जो कोई भटक रहा हो उसे समझाकर अच्छे मार्ग पर लाये ताकि सबकी उन्नति हो ।
लेख पढ़ने के लिये आपका धन्यवाद ।
ॐ नमो ---//---
आज के लिये इतना ही बाकी फिर
🙏🏻🌸🙏🏻
आदरणीय समाज पतन के अनेक कारण रहे हैं जिनमे से आज नीचे लिखे कारण समझकर ही पतन को रोक पाएंगे
1 परिवार -
आदरणीय एक समय था जब सभी परिवार संगठित होकर रहना पसंद करते थे किंतु गाँव /शहर से दूर नोकरी/व्यवसाय हेतु /पुश्तेनी सम्पति के बंटवारे /आपसी वैचारिक मतभेद आदि कारणों से परिवार सिमट कर हम दो हमारे दो तक ही रह गए है और आपसी दूरियां बढ़ने से आज हालात ये है कि विवाह की उम्र निकल जाने पर भी बच्चे /बच्ची के विवाह नही हो रहे
2 व्यापार /व्यापारी -
आदरणीय एक समय घ जब मालिक नॉकर के बीच पिता -पुत्र /भाई भाई जैसा रिश्ता होता था और सुख दुख में सदैव एक दूसरे का सहारा बनते थे नॉकर व्यापारी का काम लग्न /मेहनत से करता था और व्यापारी उसके सुख दुख में आर्थिक व अन्य मदद करता था जोकि नॉकर को वापिस करने की चिंता कभी नही रही किन्तु आज व्यापारी नॉकर से ज्यादा काम करवाना चाहता है मेहनताना पूरा देता नही /वही नॉकर मेहनताना ज्यादा और काम करना चाहता है परिणाम दोनो ही अत्यधिक स्वार्थी बनकर रह गए इसलिये आज बेरोजगारी जैसी स्थिति बन गई
3 समाजिक संगठन -
आदरणीय समाजिक संगठन सदैव समाजहित जरूरतमंद की मदद एवं समाज उत्थान के लक्ष्य से बनते अवश्य है और गरीब /अमीर सभी सहयोग भी करते है किंतु संगठनों में धनी को पद /मंच/माला /माइको से लगाव है और गरीब को अहमियत कोई देना चाहता नही इसलिये उसका शोषण ही पदाधिकारीअनेक तरह से करते है सरकार से मिलने वाली सुविधा / सहायता हो या समाज से मिला चन्दा सब पर धनी अधिकार जमाकर बैठ जाते है
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4 धार्मिक संगठन -
आदरणीय एक समय था जब आज की तरह धार्मिक संगठन नही थे बल्कि ऋषि /महृषि /गुरुजन अपनी कुटिया /आश्रम में ही शिष्यों को धर्म की शिक्षा /आमजन को धर्म प्रवचन देकर धर्म का प्रसार करते थे उन्हें आज की भांति धन /पद या राजनीति में रुचि एक हद तक ही होती थी किन्तु आजकल धर्म को भी कुछ ने व्यापार बना रखा है और भक्त जन दिल खोलकर धन देने लगते है परिणाम जरूरतमंद को मदद नही मिल रही और धार्मिक संगठन करोड़ो /अरबो की सम्पति बनाकर बैठ गए
5 राजनीति संगठन -
आदरणीय किसी भी देश /राज्य की उन्नति /पतन के पीछे ये संगठन बड़े जिम्मेदार होते है राजनीति कोई करे किन्तु उसका लक्ष्य देश /राज्य के हित मे होनी चाहिये किन्तु दुर्भाग्य की बात है राजनीति में कुछ विपक्षियों को देश /राज्य /ग्राम की चिंता नही होती वो तो केवल विरोध करना जानते है ताकि आमजन भृमित रहे और उनकी राजनीतिक पहचान बनी रहे इसके बदले बेसक देश /राज्य का पतन हो उन्हें परवाह नही
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6 मीडिया/सोशल मीडिया -
आदरणीय किसी भी देश की उन्नति /पतन के लिये ये भी बराबर का जिम्मेदार है इसी के माध्यम से आमजन को सूचनाएं मिलने लगी है और इसके साथ जुड़े बन्धु जैसा प्रचार करेंगे ठीक वैसा ही असर देश /राज्य की जनता के दिमाग मे होगा अगर है देश /राज्य की उन्नति के उद्देश्य से अच्छी जानकारी /सूचनाएं /फ़िल्म /नाटक दिखाए तब तो हर कोई उन्नति के राह पर चलेगा और वही सोशल मीडिया /मीडिया के माध्यम से आमजन को भृमित /झूठी जानकारी /अश्लील प्रोग्राम /फ़िल्म आदि का प्रसार होगा तो निश्चित ही देश /राज्य का पतन होगा
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7 युवापीढ़ी -
आदरणीय किसी भी देश /राज्य का युवा उसका भविष्य निर्धारित करता है और बचपन से जवानी तक इसने जो सीखा /समझा उसी अनुरूप ये कार्य करता है जिसका परिणाम देश /राज्य को मिलता है इसलिये हर युवा को चाहिये सदैव अच्छा सीखे अच्छे कार्य करने का प्रयास करे और जो कोई भटक रहा हो उसे समझाकर अच्छे मार्ग पर लाये ताकि सबकी उन्नति हो ।
लेख पढ़ने के लिये आपका धन्यवाद ।
ॐ नमो ---//---
आज के लिये इतना ही बाकी फिर
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आपने सभी बातें सही लिखी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी
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