शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

मृत्यु क्या है क्यो नष्ट करते है मृत शरीर ?

मृत्यु क्या है क्यो नष्ट किया जाता है मृतशरीर ?

पूरा लेख पढ़कर ही किसी निष्कर्ष पर पहुचे ताकि बात समझ आये

आदरणीय आज का विषय गहरा है अक्सर आप जब किसी के शरीर मे स्वांश का आवागमन  रुका देख /सुन लेते है तो उसे मृत मान लेते है डॉक्टर भी श्वांस /रक्त के प्रवाह को रुका देख जीव को मृत घोषित कर देते है ऐसा हमने सुना है

किन्तु हमारे मतानुसार ये पूर्ण सत्य नही है

मृत्यु को जनाने के लिये लेख को पूरा पढ़े

मृत्यु को हम अनेक प्रकार की मानते है

मृत्यु के प्रकार 👇🏻

1 शरीर में श्वांस /रक्त के प्रवाह का रुक जाना मृत्यु संसार मानता है

2 हमारे धर्मानुसार कुछ विशेष प्रकार के साधु जिंदा रहते हुए साँसार के तमाम सुख / संसाधन /वैभव त्याग कर स्वयं के पिंड दान कर मृत मान लेते है उसके बाद उनका संसार की मोह माया ममता से कोई रिश्ता नही रहता अगर रहता है तो केवल एक परमात्मा से उनका जप /तप/पूजा /पाठ यानी तमाम वो क्रियाएं जिनसे परमात्मा की प्राप्ती हो वही उनका अंतिम लक्ष्य  कहलाता है क्योकि उनका मानना है परमात्मा से मिलन के बाद पुनः किसी भी शरीर को धारण करने की आवश्यकता नही रहेगी

3 वो जिनकी डॉक्टर /व आमजन अनुसार मृत्यु सेंकडो वर्ष पहले हो चुकी किन्तु उनके प्राण अभी बाकी है कारण सभी धर्मों में मृतक का अलग अलग तरिके से अंतिम संस्कार होता है
उदाहरण -हमारे धर्म मे दाहसंस्कार यानी मृत शरीर को चिता में जलाकर अंतिम सँस्कार होता है
एक अन्य धर्म मे मृतशरीर को धरती में गड्ढा खोदकर यानी कब्र में दफना कर अंतिम संस्कार
 किया जाता है
एक अन्य धर्म के बारे में सुना है वो ना दफनाते है और ना चिता में मृतक को जलाते है वो मृतक को एक बड़ा सा कुवा नुमा खुले स्थान पर रख आते है जहां अनेको प्रकार के मांसाहारी जीव जंतु पक्षी उस मृतक के शरीर को नष्ट कर अंतिम संस्कार कर देते है

सुना है दुनिया मे ऐसे भी हुए है जिनकी सांसारिक रूप से तो मृत्यु बहुत पहले हो चुकी किन्तु प्राण अभी भी बाकी है

उदाहरण  -विदेशो में कुछ मम्मियां ऐसी सुनी है जिनके बाल /नाखून बढ़ रहे है जबकि मृत्यु तो काफी साल पहले हो चुकी

 कुछ सिद्ध साधु संतों का भी सुनने को मिलता है जिनकी मृत्यु तो काफी साल पहले हो चुकी किन्तु अस्थिपिंजर आज भी योग साधना में लीन है यानी ऐसा लगता है वो अभी तक जीवित अवस्था मे साधना कर रहे है

क्यो नष्ट किया जाता है मृत शरीर 👇🏻
आदरणीय आत्मा अमर है इसके लिये शरीर मात्र एक वस्त्र है जिसे परमात्मा की इच्छा अनुसार आत्मा अनेको प्रकार के शरीर को धारण करती है छोड़ देती है और इसी प्रकार ये चक्र चलता रहता है
किस आत्मा ने कौनसा शरीर धारण किया कब छोड़ देगी ये आप हम नही जान पाते हम नवजात को एक नाम देकर सांसारिक पहचान तो देते है और वो पहचान शरीर के नष्ट होने तक ही रहती है उसके बाद आत्मा का  कब कहा किस जाति /प्रजाति में जन्म ले क्या नाम हो कोई नही जानता इन्ही कारणों से सदियों पूर्व समाज के बुद्धिजीवी वर्ग ने मृतक के शरीर को अलग अलग प्रकार से नष्ट करना शुरू किया ताकि उस शरीर मे आत्मा पुनः प्रवेश नही कर सके क्योकि पुनः  प्रवेश अगर कर भी ले तो कौन जान पायेगा वही आत्मा है या अन्य कोई आत्मा है
सभी धर्म अलग अलग प्रकार से मृत मानव शरीर को नष्ट करते है

सारांश - ये आप पर निर्भर है कि आपने लेख को किस नजरिये से पढ़ा और क्या आप समझ पाए जो आपको ठीक लगे वही इस लेख का सार समझ लीजिये क्योकि हर किसी के अपने मान्यता है

साधु संत मानते है कि समाधि लीन शरीर फिर जीवित हो सकता है यानी योग निद्रा जाने कब खुल जाए इसलिये वो शरीर को नष्ट नही करते

सांसारिक लोग मानते है मृतक जिंदा नही हो सकता इसलिये अपने धर्म अनुसार अंतिम संस्कार करते है

वही कुछ विदेशी जिन्होंने मम्मियां रखी हुई है वो भी मानते है मृतक जीवित हो सकता है और इसी कारण वर्षो से मम्मियों को संभाल कर रखे हुए है अन्यथा कब का नष्ट कर देते

लेख पढ़ने के लिये आपका धन्यवाद

आज के लिये इतना ही बाकी फिर

ॐ नमो ---//---

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