आपका जीवनसाथी कौन ?
आदरणीय आपने पढा सही है किन्तु अधिकतर बन्धु पत्नी को ही जीवनसाथी मानते है
जीवनसाथी का अर्थ है जन्म से मरण तक जो साथ दे वही इंसान का जीवनसाथी होता है ऐसा हमारा मत है
जबकि पत्नी विवाह के उपरांत ही जीवन मे आती है और परमात्मा ने सबके आने जाने का अलग अलग समय निर्धारित किया ऐसे में कौन कब बिछड़ जाए या कौन किसे मिल जाये कहना सम्भव नही अर्थात पत्नी कुछ समय जीवनसाथी हो सकती है पर जनक से मरण तक नही
इंसान के जन्म के बाद संरक्षक और साथी 👇🏻
माँ (संरक्षक)
पिता (संरक्षक)
भाई
बहन
दोस्त
पत्नी
बेटा
बेटी
व अन्य रिश्ते नातो से बंधे इंसान
संरक्षक - आदरणीय इंसान जीवन मे भले जैसे मर्जी कर्म करे पर उसके माँ पिता सदैव उसके भले हेतु उसकी जरूरतों हेतु सहयोग /मार्गदर्शन भी करते है और बुरी आदतों /कर्मो से उसका रक्षण कर उसे सही मार्ग पर लाने का प्रयास भी करते है इसलिये माँ पिता इंसान के संरक्षक ही हुए
साथी - आदरणीय इंसान के जन्म के बाद मिले भाई /बहन /दोस्त उसके साथी सदैव रहे है पर जीवनसाथी नही बन सकते कारण सबकी अपने अपने लक्ष्य होते है और हर किसी को एक पड़ाव के बाद अपनी जिम्मेदारी निभानी भी पड़ती है ऐसे में सदैव सबका का साथ देना सम्भव नही इसलिये ये सभी इंसान के साथी ही कहलाते है
जीवनसाथी - आदरणीय हर कोई पति /पत्नी को एक दूसरे का जीवनसाथी कहता है कारण विवाह उपरांत दोनो मिल कर एक दूसरे का साथ निभाने का प्रयास करते है हमारा मानना है विवाह के बाद जीवन की एक नई शुरुवात इंसान करता है जिसमे पति/पत्नी एक दूसरे के साथी भी बनते है पर साथ कब तक कहा तक निभेगा ये कोई नही जानता क्योकि परमात्मा के नियम इंसान की सोच /समझ से परे है आज भी संसार मे अनेको ऐसे मिलेंगे जिसमे किसी की पत्नी किसी के पति उनसे पहले संसार त्याग चले गए यानी अब उनके जीवनसाथी पास नही इसलिये पति/ पत्नी भी जीवनसाथी नही ऐसा हमारा मत है
बेटा /बेटी /दोस्त व अन्य रिश्ते नाते - आदरणीय जीवन मे हर किसी को एक समय बाद अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है ऐसे में बेटा/बेटी/दोस्त या अन्य कोई भी हो सबके साथ इंसान की दूरियां बनना स्वभाविक ही है अतः ये सब भी जीवनसाथी नही
कहने का तातपर्य ये सब जीवनसाथी नही तो फिर जीवनसाथी कौन? 🤔😇
आदरणीय इंसान का *जीवनसाथी* उसका अपना शरीर ही है अन्य कोई नही कारण आप कैसे हो क्या करते हो क्यो करते हो इन सबसे शरीर को मतलब नही ये तो केवल वही करता है जो आप चाहते है अच्छा करे या गलत वो आपकी इच्छा /स्वभाव पर निर्भर करता है
शरीर (जीवनसाथी) को स्वस्थ कैसे रखे- 🤔👇🏻
1 सुबह उठकर बिस्तर पर बैठे बैठे परमात्मा को प्रणाम कर दिन की शुरुवात करे तदुपरांत अपना बासी थूक आंखों में लगाये ऐसा करने से आपको आंखों सम्बंधित कोई रोग नही होगा और आपकी नेत्रज्योति सदैव अच्छी बनी रहेगी ।
2 मौसम अनुसार स्वच्छ ताजा पानी पेटभर पीकर शौच के लिये जाए ऐसा करने से आपका पेट अच्छे स्व साफ होगा और पेट मे गर्मी या अन्य रोग नही होंगे आदरणीय जिस इंसान का पेट स्वस्थ हो उसे किसी प्रकार के रोग नही आते ऐसा बहुतों का अनुभव कहता है
3 आप सुबह /शाम योग/ व्यायाम करे अपने मन मे सदैव अच्छे विचार रखे ,सदैव शुद्ध ताजा भोजन करे और अच्छे लोगो के सम्पर्क में रहे ताकि आप सदमार्ग पर चलते हुए सदैव स्वस्थ बने रहे
भावार्थ - शरीर (जीवनसाथी) स्वस्थ हो तभी आप अपनी व दुसरो की मदद की कर सकते है और भजन /शुद्ध भोजन /एवं अच्छे कर्मों द्वारा आप इस जीवनसाथी को खुश रखेंगे तभी आप स्वयं भी खुशियों को हासिल कर पाएंगे
अन्यथा आपका धन/रुतबा/परिवार व अन्य वो सब जिसपर आपको घमंड हो वो सब आपको अकेला छोड़ चले जायेंगे
अभी के लिये इतना ही बाकी अगले लेख में ------
धन्यवाद
ॐ नमो---///----
मार्गदर्शन /लेखक - दीप भाई / महेश
आदरणीय आपने पढा सही है किन्तु अधिकतर बन्धु पत्नी को ही जीवनसाथी मानते है
जीवनसाथी का अर्थ है जन्म से मरण तक जो साथ दे वही इंसान का जीवनसाथी होता है ऐसा हमारा मत है
जबकि पत्नी विवाह के उपरांत ही जीवन मे आती है और परमात्मा ने सबके आने जाने का अलग अलग समय निर्धारित किया ऐसे में कौन कब बिछड़ जाए या कौन किसे मिल जाये कहना सम्भव नही अर्थात पत्नी कुछ समय जीवनसाथी हो सकती है पर जनक से मरण तक नही
इंसान के जन्म के बाद संरक्षक और साथी 👇🏻
माँ (संरक्षक)
पिता (संरक्षक)
भाई
बहन
दोस्त
पत्नी
बेटा
बेटी
व अन्य रिश्ते नातो से बंधे इंसान
संरक्षक - आदरणीय इंसान जीवन मे भले जैसे मर्जी कर्म करे पर उसके माँ पिता सदैव उसके भले हेतु उसकी जरूरतों हेतु सहयोग /मार्गदर्शन भी करते है और बुरी आदतों /कर्मो से उसका रक्षण कर उसे सही मार्ग पर लाने का प्रयास भी करते है इसलिये माँ पिता इंसान के संरक्षक ही हुए
साथी - आदरणीय इंसान के जन्म के बाद मिले भाई /बहन /दोस्त उसके साथी सदैव रहे है पर जीवनसाथी नही बन सकते कारण सबकी अपने अपने लक्ष्य होते है और हर किसी को एक पड़ाव के बाद अपनी जिम्मेदारी निभानी भी पड़ती है ऐसे में सदैव सबका का साथ देना सम्भव नही इसलिये ये सभी इंसान के साथी ही कहलाते है
जीवनसाथी - आदरणीय हर कोई पति /पत्नी को एक दूसरे का जीवनसाथी कहता है कारण विवाह उपरांत दोनो मिल कर एक दूसरे का साथ निभाने का प्रयास करते है हमारा मानना है विवाह के बाद जीवन की एक नई शुरुवात इंसान करता है जिसमे पति/पत्नी एक दूसरे के साथी भी बनते है पर साथ कब तक कहा तक निभेगा ये कोई नही जानता क्योकि परमात्मा के नियम इंसान की सोच /समझ से परे है आज भी संसार मे अनेको ऐसे मिलेंगे जिसमे किसी की पत्नी किसी के पति उनसे पहले संसार त्याग चले गए यानी अब उनके जीवनसाथी पास नही इसलिये पति/ पत्नी भी जीवनसाथी नही ऐसा हमारा मत है
बेटा /बेटी /दोस्त व अन्य रिश्ते नाते - आदरणीय जीवन मे हर किसी को एक समय बाद अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है ऐसे में बेटा/बेटी/दोस्त या अन्य कोई भी हो सबके साथ इंसान की दूरियां बनना स्वभाविक ही है अतः ये सब भी जीवनसाथी नही
कहने का तातपर्य ये सब जीवनसाथी नही तो फिर जीवनसाथी कौन? 🤔😇
आदरणीय इंसान का *जीवनसाथी* उसका अपना शरीर ही है अन्य कोई नही कारण आप कैसे हो क्या करते हो क्यो करते हो इन सबसे शरीर को मतलब नही ये तो केवल वही करता है जो आप चाहते है अच्छा करे या गलत वो आपकी इच्छा /स्वभाव पर निर्भर करता है
शरीर (जीवनसाथी) को स्वस्थ कैसे रखे- 🤔👇🏻
1 सुबह उठकर बिस्तर पर बैठे बैठे परमात्मा को प्रणाम कर दिन की शुरुवात करे तदुपरांत अपना बासी थूक आंखों में लगाये ऐसा करने से आपको आंखों सम्बंधित कोई रोग नही होगा और आपकी नेत्रज्योति सदैव अच्छी बनी रहेगी ।
2 मौसम अनुसार स्वच्छ ताजा पानी पेटभर पीकर शौच के लिये जाए ऐसा करने से आपका पेट अच्छे स्व साफ होगा और पेट मे गर्मी या अन्य रोग नही होंगे आदरणीय जिस इंसान का पेट स्वस्थ हो उसे किसी प्रकार के रोग नही आते ऐसा बहुतों का अनुभव कहता है
3 आप सुबह /शाम योग/ व्यायाम करे अपने मन मे सदैव अच्छे विचार रखे ,सदैव शुद्ध ताजा भोजन करे और अच्छे लोगो के सम्पर्क में रहे ताकि आप सदमार्ग पर चलते हुए सदैव स्वस्थ बने रहे
भावार्थ - शरीर (जीवनसाथी) स्वस्थ हो तभी आप अपनी व दुसरो की मदद की कर सकते है और भजन /शुद्ध भोजन /एवं अच्छे कर्मों द्वारा आप इस जीवनसाथी को खुश रखेंगे तभी आप स्वयं भी खुशियों को हासिल कर पाएंगे
अन्यथा आपका धन/रुतबा/परिवार व अन्य वो सब जिसपर आपको घमंड हो वो सब आपको अकेला छोड़ चले जायेंगे
अभी के लिये इतना ही बाकी अगले लेख में ------
धन्यवाद
ॐ नमो---///----
मार्गदर्शन /लेखक - दीप भाई / महेश