जिम्मेदारी
आदरणीय दुनिया मे जन्मे हर किसी की कुछ जिम्मेदारी होती है जिन्हें निभाना हर किसी के वश की बात नही होती कारण जो मर्जी रहे किन्तु सत्य यही की जिम्मेदारी निभाये बिन सर्वहित नही
जिम्मेदारी निभाने के कुछ तरीके /कुछ अनुभव होते है जिन्हें समझकर आगे बढ़ा जा सकता है
बच्चे से बुजुर्ग तक सबके पास कुछ न कुछ होता है
बच्चा नादान होता है किंतु उसके माता पिता नही एक समय था जब संगठित परिवार में बच्चे संगठित रहना और सबका साथ निभाना सीख जाते थे और बड़े होकर बड़ी बड़ी जिम्मेदारी निभाते थे
किन्तु आज ना तो संगठित परिवार है और ना माता पिता के पास समय हम दो हमारे दो तक ठीक मान भी ले तब भी क्या माता पिता अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभा रहे है 🤔सोचना कभी
सुबह से शाम तक माता को घर के काम /सर्विस /किट्टी पार्टियों /सोशल मीडिया से फुर्सत नही ।
पिता सुबह से शाम तक ऑफिस /प्रतिष्ठान पर काम धंधे में व्यस्त रहते है और फुर्सत में सोशल मीडिया तो है ही सुबह से रात तक
सोचिये इतने व्यस्त माता पिता कब कैसे देंगे बच्चो को संस्कार नही दे सकते कारण स्वयं माता पिता को सुबह से रात तक फुर्सत नही और जिनको है उनके पास बच्चे नही 😇😇हैरान नही होइए
आज के माता पिता अपने बच्चों की आय से परवरिश और कॉन्वेंट स्कूल में शिक्षा के बाद दूर शहर /विदेश में जॉब करने बच्चो को भेजने लगे है
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क्या माता पिता की यही जिम्मेदारी थी कि ओलाद पैदा करो उन्हें डिग्री दिलाओ और लाखों के कमाने भेज दो
क्या बच्चो में अपने बुजुर्गो से मिले संस्कार /अपनी रीति रिवाज /परम्पराओ की जानकारी देना उन्हें निभाने की प्रेरणा देना माता पिता की जिम्मेदारी नही थी सोचा कभी
बाते बड़ी बडी करेंगे किन्तु समझदारी इतनी की अपनी ओलाद को मशीन बना छोड़ेंगे जिसमे ना तो बुजुर्गो के सनस्कार होंगे और ना ही दया /धर्म की भावना 😇😇
ऐसे ही बहुत से गैरजिम्मेदार माता पिता की संतान स्वयं के विवाह पश्चात या तो स्वयं उनसे अलग हो जाती है या फिर माता पिता को किसी आश्रम में भेज देती है ताकि स्वयं माता पिता की प्रॉपर्टी और साजोसामान पर अधिकार कर ऐश कर सके
आज के लिये इतना ही बाकी जिम्मेदारी पार्ट 2 में
धन्यवाद
ॐ नमो ---//---
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