गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

मदद एक प्रयास

🕹️ *आवश्यक सन्देश* 🕹️
       17/04/2020

विषय -समाजहित में  सूचना

आदरणीय जैसा कि आप सभी जानते है  हमारे द्वारा संचालित *मैढ़ स्वर्णकार रिश्ते* बहुउद्देश्यीय टीम है और बीते वर्षो से कुछ विषयो पर सदैव सच्चाई  से समाजहित में यथा सम्भव  प्रयासरत करती रही है


    आदरणीय बीते वर्षो में मिले आप सबके आशीर्वाद और स्नेह के कारण अब हमें लगता है समाजहित में हमे और ज्यादा प्रयास और इस टीम का  विस्तार करना होगा

सम्पर्क
Https://wa.me/919034664991

आदरणीय आप जानते है बीते वर्षो पूर्व से हमारे पुश्तेनी व्यवसाय में अन्य जाति बन्धुओ के आने से हमारे बहुत से बन्धुओ को अपना व्यवसाय छोड़कर अन्य काम धंधा करके अपनी जीविका चला रहे थे

उसके बाद एक्साइज के कारण 43 दिनों की हड़ताल में हमारे अनेको बन्धुओ से सुने अनुभव अनुसार  उनकी आर्थिक दशा ऐसी बिगड़ी के उन्हें जेवलरी व्यवसाय छोड़ना पड़ गया

और अब वैश्विक महामारी कोरोना के कारण सबकुछ लॉक डाउन की स्थिति से गुजर रहा हालांकि भारत सरकार ने  यथा सम्भव कोरोना से बचाव हेतु निर्देश दिए है और धरातल पर सरकारी तंत्र के माध्यम से हर सम्भव जरूरत मन्द तक मदद पहुंचाई जा रही है

सम्पर्क
https://Facebook.com/msrishtey.blogspot

सरकार अपना कार्य देश हित मे करे ये सभी चाहते है किन्तु कोरोना से कब मुक्ति मिले कोई नही जानता कारण अभी तक इसकी दवा बनी नही और दवा बनने तक घरो में बन्द रहने के अलावा आप कर भी कुछ नही सकते

इसलिये सोचिये कोई भी इंसान ज्वेलरी कब खरीदता है  🤔
 जब घर परिवार में सबकी जरूरतों को पूरा कर ज्यादा पैसा बच जाए तब इंसान ज्वैलरी खरीदता है

या फिर जब परिवार में किसी बच्चे / बच्ची की सगाई /विवाह आदि शुभकार्य करने के समय

इंसान गरीब हो या अमीर अंतर नही पड़ता किन्तु सगाई /विवाह में जरूरत अनुसार ज्वैलरी अवश्य खरीदता है कोई कम तो कोई ज्यादा पर जरूरत सबको पड़ती है

लिखने का उद्देश्य केवल इतना कि ज्वैलरी व्यवसाय दैनिक जरूरत में नही आता

कोरोना से मुक्त होने तक जाने हमारे कारीगर बन्धुओ की आर्थिक दशा क्या हो कहना सम्भव नही

अतः हम चाहते है बेसक आप घरो में रहे किन्तु अपने परिवारो /रिश्तेदारों /मित्रो से सोशल मीडिया या कॉल के माध्यम से सम्पर्क बनाये रखे ताकि उन्हें आपकी और आपको उनकी जरूरतों को समझने में आसानी रहे
आदरणीय आप जानते है सही मायने में किसी की मदद आप तभी कर पाएंगे जब आपको उसकी मजबूरी और  जरूरत दोनो का ज्ञान हो

हमारा मानना है बहुत सी जगह संस्थाए तो मदद कर रही है किन्तु  जरूरत मन्द मदद से वंचित रह जाता है कारण बहुतों की शर्म / स्वाभिमान हाथ फैलाने देते नही और संस्थाओ को उसकी मजबूरी /जरूरत का पता चलता नही

उदाहरण -  संस्थाए भोजन बांट अवश्य रही है किन्तु उन्हें नही पता चलता की जिसे वो भोजन दे रहे है उंसको जरूरत है भी या नही

इसके पीछे की वजह केवल इतनी की कुछ लोग फ्री के लालच में जरूरत से ज्यादा ले जाते है तो कुछ  शर्म /स्वाभिमान के कारण भोजन ले / मांग नही  पाते है

अंत मे केवल इतना कि जरूरत मन्द की मदद समाजहित में अवश्य करे तभी आप समाज एवं बन्धुओ के स्वाभिमान की रक्षा कर पाएंगे !

आज के लिये इतना ही बाकी फिर कभी ----

धन्यवाद

ॐ नमो ---//---

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