क्या आप
आजाद है
आदरणीय इसके लिये समझना होगा कि आजादी क्या है और कैद क्या ?
जीवन मरण के बन्धनों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति ही सच्ची आजादी है !
संसार मे स्वयं को आजाद दो ही तरह के मानते है एक अघोरी जो जिंदा रहते हुए अपना पिंड दान कर स्वयं को मृत (परमात्मा )मान लेता है दूसरे मृतदेह क्योकि जीवन मे रिश्ते नातो दैनिक जिम्मेदारी से आजाद होकर वो अंतिम यात्रा हेतु इंतजार करती है जो उसे विदा कर आये !
बेड़ियों में जकड़े हुए या जेल में बंद ही कैदी नही होते सही मायने संसार मे दो प्रकार के कैदी होते है पहले कैदी वो है जो अपने कुविचारों /अनैतिक कर्मो में लिप्त (कैद) तो होते है किंतु उन्हें आभास नही होता अगर आभास होता भी है तो बहुत देर हो जाती है तब तक दूसरे वो कैदी है जो आत्मीय बन्धनों एवं जिम्मेदारीयो में जकड़े रहते है !
हमारे अनुसार आप /हम आज बेसक आजाद भारत के नागरिक है किंतु अभी भी ऐसा बहुत कुछ है जिससे आपको /हमे आजादी नही मिल रही !
Https://msrishtey.blogspot.com
हमारे अनुसार जो व्यक्ति किसी भी कारण कुविचारों /अनैतिक कर्मो में लिप्त है वो उन्हें जितना जल्द त्याग से अच्छा रहेगा कारण उस एक के कारण पूरा परिवार /रिश्तेदार एवं मित्रगण आये दिन अनावश्यक परेशान होते पाए गए है
उदाहरण : आज एक विवाहित युवक जो काफी समय से नशेड़ी है परिवार के लाख प्रयास के बाद भी सुधर नही रहा उसी के छोटे भाई की मौत भी नशे के कारन बीते महीने पूर्व ही हुई अब बुजुर्ग माँ / पिता कैसे करके घर चला रहे है किंतु वो कमाना तो दूर अपने नशे की इच्छा हेतु माँ /पिता /बीबी आदि से मारपीट कर पैसे छीन ले जाता है आज उसे एक बार फिर नशामुक्ति वालो के हवाले किया घर मे उसकी पत्नी /माँ /बहने रोती रही पर उसकी सेहत पर तो जैसे कोई असर ही नही हो इसलिये मेरा आप सबसे केवल इतना ही कहना है अपने कुविचार /अनैतिक कर्मो को त्याग कर परिवार और अपने लिये जीना शुरू करे परिवारिक प्रेम से बढ़कर कोई नशा नही हो सकता है !
Https://msrishtey.blogspot.com
दूसरे कैदी वो है जो परिवारिक जिम्मेदारी एवं अपनी इच्छाओं की पूर्ति हेतु दिन रात धन कमाने में लगे तो रहते है पर सन्तुष्टि नही हो पाती उनकी कारण उन्हें लगता है जितना ज्यादा धन उनके पास होगा वो उतना ज्यादा सुख /खुशी हासिल कर पाएंगे किन्तु ऐसा नही है क्योकि इंसान की इच्छाओं का कोई अंत नही संसार मे सुखी /खुश वो है जिसने सन्तुष्ट होना सीख लिया जरूरी नही आपके पास अन्य की भांति ज्यादा धन हो किन्तु अगर आपके परिवार में प्रेम /एकता आपसी सामंजस्य अगर है तो आप संसार के सबसे धनी /सुखी इंसान हो ऐसा हम मानते है !
भावार्थ : बुराई को त्याग कर सदमार्ग पर चले अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए परमधाम तक कि यात्रा की और अग्रसर हो !
धन्यवाद!!
ॐ नमो---//---
🙏🏻🌹🙏🏻
आजाद है
आदरणीय इसके लिये समझना होगा कि आजादी क्या है और कैद क्या ?
जीवन मरण के बन्धनों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति ही सच्ची आजादी है !
संसार मे स्वयं को आजाद दो ही तरह के मानते है एक अघोरी जो जिंदा रहते हुए अपना पिंड दान कर स्वयं को मृत (परमात्मा )मान लेता है दूसरे मृतदेह क्योकि जीवन मे रिश्ते नातो दैनिक जिम्मेदारी से आजाद होकर वो अंतिम यात्रा हेतु इंतजार करती है जो उसे विदा कर आये !
बेड़ियों में जकड़े हुए या जेल में बंद ही कैदी नही होते सही मायने संसार मे दो प्रकार के कैदी होते है पहले कैदी वो है जो अपने कुविचारों /अनैतिक कर्मो में लिप्त (कैद) तो होते है किंतु उन्हें आभास नही होता अगर आभास होता भी है तो बहुत देर हो जाती है तब तक दूसरे वो कैदी है जो आत्मीय बन्धनों एवं जिम्मेदारीयो में जकड़े रहते है !
हमारे अनुसार आप /हम आज बेसक आजाद भारत के नागरिक है किंतु अभी भी ऐसा बहुत कुछ है जिससे आपको /हमे आजादी नही मिल रही !
Https://msrishtey.blogspot.com
हमारे अनुसार जो व्यक्ति किसी भी कारण कुविचारों /अनैतिक कर्मो में लिप्त है वो उन्हें जितना जल्द त्याग से अच्छा रहेगा कारण उस एक के कारण पूरा परिवार /रिश्तेदार एवं मित्रगण आये दिन अनावश्यक परेशान होते पाए गए है
उदाहरण : आज एक विवाहित युवक जो काफी समय से नशेड़ी है परिवार के लाख प्रयास के बाद भी सुधर नही रहा उसी के छोटे भाई की मौत भी नशे के कारन बीते महीने पूर्व ही हुई अब बुजुर्ग माँ / पिता कैसे करके घर चला रहे है किंतु वो कमाना तो दूर अपने नशे की इच्छा हेतु माँ /पिता /बीबी आदि से मारपीट कर पैसे छीन ले जाता है आज उसे एक बार फिर नशामुक्ति वालो के हवाले किया घर मे उसकी पत्नी /माँ /बहने रोती रही पर उसकी सेहत पर तो जैसे कोई असर ही नही हो इसलिये मेरा आप सबसे केवल इतना ही कहना है अपने कुविचार /अनैतिक कर्मो को त्याग कर परिवार और अपने लिये जीना शुरू करे परिवारिक प्रेम से बढ़कर कोई नशा नही हो सकता है !
Https://msrishtey.blogspot.com
दूसरे कैदी वो है जो परिवारिक जिम्मेदारी एवं अपनी इच्छाओं की पूर्ति हेतु दिन रात धन कमाने में लगे तो रहते है पर सन्तुष्टि नही हो पाती उनकी कारण उन्हें लगता है जितना ज्यादा धन उनके पास होगा वो उतना ज्यादा सुख /खुशी हासिल कर पाएंगे किन्तु ऐसा नही है क्योकि इंसान की इच्छाओं का कोई अंत नही संसार मे सुखी /खुश वो है जिसने सन्तुष्ट होना सीख लिया जरूरी नही आपके पास अन्य की भांति ज्यादा धन हो किन्तु अगर आपके परिवार में प्रेम /एकता आपसी सामंजस्य अगर है तो आप संसार के सबसे धनी /सुखी इंसान हो ऐसा हम मानते है !
भावार्थ : बुराई को त्याग कर सदमार्ग पर चले अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए परमधाम तक कि यात्रा की और अग्रसर हो !
धन्यवाद!!
ॐ नमो---//---
🙏🏻🌹🙏🏻