शनिवार, 30 नवंबर 2019

सुखी परिवार

सुखी परिवार

आदरणीय सदैव परमात्मा के बताये मार्ग पर सत्य और सद्कर्म  करते अपनी जिम्मेदारियों को निभाकर ही सुखी परिवार की कल्पना की जा सकती है !

 परिवार के सदस्य /बच्चो को अच्छे संस्कार /धार्मिक /समाजिक ज्ञान /और राष्ट्र के प्रति नैतिक कर्तव्य की प्रेरणा देने से परिवार में सुख /समृद्वि /एकता बनी रहती है !
सत्कर्म करते हुए समाजिक सद्भावना से जीवनयापन करने वालो को कर्मयोगी कहते है!

परिवार की सम्पति /धरोहर/संस्कार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी सदैव चलती रहती है ! व्यक्ति की सामाजिक जिम्मेदारी /मर्यादा/प्रतिष्ठा उसके कर्म और परिवार से ही निर्धारित होती है!

व्यक्ति का परिचय मुख्यतः उसके पिता /परिवार और कुल /गोत्र के आधार पर ही होता है !

परिवार समाजिक अनुशासन व्यवस्था के अंतर्गत माता -पिता/ पति -पत्नी/भाई -बहन/दादा -पौत्र,पौत्री/ चाचा-भतीजे, भतीजी/सास -बहू /जेठानी-देवरानी/नन्द-भावज/जैसे अनेको सम्बन्धो /कर्तव्यों और अधिकारों से परस्पर समूह के रूप में जीवनयापन करना संयुक्त परिवार कहलाता है!

भावार्थ :-जिस परिवार में अनेक परिवारो की एकता का समावेश हो और सभी एक दूसरे के प्रति अपनत्व की भावना से प्रेरित हो एक दूसरे का साथ निभाये उस परिवार को सुखी परिवार कहा जा सकता है !
          धन्यवाद !!

ॐ नमो---//---

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