बुधवार, 13 नवंबर 2019

सगोत्र में विवाह एक अभिशाप

सगोत्र में विवाह एक अभिशाप

आदरणीय बुजुर्गो ने समाज में।अनेको व्यवस्थाएं बनाई थी जिसमे एक थी विवाह की और इसी के द्वारा युवक हो या युवती दोनो एक दूसरे की अपूर्णता को पूर्ण कर नदम्पति के रूप में नई जिंदगी की शुरुवात करते रहे है

विवाह के लिये ऐसे युवक या युवती का चयन परिवार करता था जिसके निन्म गोत्र ना मिलते हो-
1 स्वयं का गोत्र यानी पिता का गोत्र
2 माँ का गोत्र यानी ननिहाल (नाना /मामा) का गोत्र
3 दादी का गोत्र यानी पिता की माँ के पीहर (पिता) का गोत्र
4 नानी का गोत्र यानी नानी के पीहर (नानी के पिता /भाई ) का गोत्र

इन गोत्रो को छोड़ने के पीछे मूल कारण थे
1    दम्पति से पैदा होने वाले बच्चों में अनुवांशिक बीमारियां नही लगे
2  समाज मे स्थापित पवित्र रिश्ते माँ बेटा /बहन भाई/काका भतीजी /बुआ भतीजे आदि कलंकित होने से बच जाए

हिन्दू धर्म मे एक ही गोत्र में पैदा हुए के निन्म रिश्ते ही आपस मे कहलाते है जैसे भाई बहन /बुआ भतीजा/ (दादा /दादी -पोता /पोती) / (चाचा /ताऊ -भतीजे /भतीजी आदि )

नही कहला सकते थे निन्म रिश्ते
मामा भांजी /नाना /नानी -दोहित्र/ दोहित्रि आदि


यानी इन सबसे एक बात स्पस्ट थी कि अगर स्वयं के या दादी के गोत्र से किसी के गोत्र मिलते है उसको दादा पक्ष से ही माना जाए

जिसके माँ /नानी के गोत्र से मिले उसको ननिहाल पक्ष से ही माना जाए


ये बहुत सुंदर व्यवस्था थी इसके द्वारा चुने गए दम्पति को ना केवल दाम्पत्य जीवन जीने में परिवार का सहयोग मिलता था बल्कि दम्पति स्वयं अपने रिश्ते नातो को जानकर सदैव गौरवान्वित होते थे
इसके पीछे का मूल कारण है इस व्यवस्था के द्वारा परिवारों का विस्तार एवं सभ्य समाज का निर्माण हो पाया है


किन्तु

अब कुछ वर्षो से कुछ लोगो ने सही /गलत तरीके से धन तो कमा लिया और धन के नशे में ये ---- लोग अब पुरखो द्वारा स्थापित सभी व्यवस्थाओं को खंडित करने में लगे हैं अतः ऐसे लोगो से सजग रहे

1 जिसने सगोत्र में विवाह स्वयं या अपने किसी बच्चे /बच्ची का किया हो
(सगोत्र में विवाह करना एक अभिशाप  है और इसको करने या करवाने वाले समाज के लिये --------------ही है)

2 मृत्युभोज के नाम पर जो विवाह की भांति अनेको स्वादिस्ट व्यंजन प्रदर्शन अपनी शान समझता हो

3 जिसने दहेज के लालच में अपनी पत्नी या पुत्र वधु को यातनाएं देना अपनी आदत बना रखी हो

4  जिसने समाज की किसी भी अमानत को अपना मालिकाना अधिकार मानता हो अमानत किसी भी तरह का भवन /या बैंको या फिर उसके पास रखी सम्पत्तियां हो सकती है

5 जो स्वयं को कहता तो समाज सेवक हो पर समाजहित में कोई कार्य कभी ना किया हो और ना ही कार्य करने की मंशा रखता हो

*आदरणीय आज ये सब लिखने का भावार्थ इतना ही है कि समाज की सुंदर व्यवस्था को कलंकित होने से बचाये रखे क्योकि ये सब है तब तक ही हम सबका आत्म सम्मान रहता है और हम समाज मे सिर उठाकर चल पाते है इस व्यवस्था के कलंकित होने से भाई -बहन/बुआ -भतीजा/ आदि कलंकित हो जाएंगे अब आज के   लिये इतना ही बाकी फिर कभी :-*

सगोत्र में विवाह का अर्थ है पशु तुल्य इंसान


ॐ नमो ----//---

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