शनिवार, 29 अगस्त 2020

समझौता (दूसरी) शादी क्यो ?

 समझौता (दूसरी)  शादी क्यो ?

आदरणीय जब इंसान में  शारीरिक  कमी हो या पति -पत्नी का तलाक या किसी एक का देहांत हो जाये तब जीवन मे फिर से वही खुशियां हासिल करने हेतु समझौता ( दूसरी ) शादी एक मार्ग बचता है बहुतों के पास और ऐसी शादी में समझौता दोनो को करना ही पड़ता है फिर वो भले शारिरिक /आर्थिक या अन्य किसी प्रकार का हो सकता है 

ऐसी शादी से पूर्व विचार कर लेने चाहिए ताकि भविष्य सुरक्षित हो सके 

शारीरिक कमियां - तीन प्रकार से हम मानते हैं 

1 जन्म से अंग भंग या अन्य प्रकार से 

2 पति या पत्नी के देहांत से हुई कमी को भी हम शारीरिक कमी कह सकते है 

3 किसी हादसे या रोग से हुई शारिरिक विकलांगता या अन्य

आर्थिक कमी -  सुनने में आया है गरीब परिवार अपनी मजबूरी के चलते अपनी बहन /बेटी की शादी किसी विकलांग /तलाकशुदा या विदुर से कर देते है  किंतु वो भूल जाते है कि ऐसी शादी में किये समझौते से लड़कीं को खुशी कम और जीवनभर कुछ कड़वे अनुभव करने ही होंगे 

आयु में अंतर  हमारा मानना है शादी में वर वधु के बीच ज्यादा बड़ा अंतर नही होना चाहिये कारण ऐसे समझौते से हुई शादी के अनेको दुष्परिणाम समाज मे सुनने को मिल सकते है


वही कुछ युवा अविवाहित होते हुए आर्थिक /शारीरिक कारण से घर जवाई बन जाते हैं किंतु वो भूल जाते हैं कि पुरुष प्रधान समाज मे मर्द की इज्जत /स्वाभिमान तभी तक कायम रहता है जब तक कि वो अपने परिवार में या अन्यत्र अलग रह कर अपनी जिम्मेदारी निभाये अन्यथा जीवनभर कड़वे अनुभव ज्यादा और खुश कम हासिल होगी ऐसा हमारा मानना है


पूर्व विवाह से बच्चे - कौन अपनाए  इस बारे में वर या वधु में किस के पूर्व से बच्चे है या किस के नही 

बच्चो की आयु 10 वर्ष से कम है या अधिक  

किस के पास कितने बच्चे है एक या दो  

   अगर बच्चे /बच्ची की आयु ज्यादा कम हो और दूसरा पक्ष अपना सके तब ज्यादा परेशानी नही आएगी किन्तु अगर बच्चे /बच्ची की आयु 10 वर्ष या इससे अधिक हो तब और बच्चे दोनो के पास है या एक के पास ये भी समझना आवश्यक है कारण  वर वधु निज कारण से समझौता शादी कर ले तब पूर्व शादी से हुए बच्चे की आयु /मानसिकता व व्यवहार पर निर्भर करता है कि वो  समझौता शादी से मिले माता या पिता का कितना सम्मान कर पाए या अंदर ही अंदर ----भावना का शिकार हो जाये ये बच्चे /बच्ची पर निर्भर करता है 


लेख को ज्यादा बड़ा नही करते हुए अंत मे केवल इतना कि समझौता शादी से पूर्व हर पहलू पर सोच विचार कर अपनी समझदारी से आपका उठाया सही कदम जीवन में फिर से खुशी भर सकता है वही जल्दबाजी या -----कारण से उठाया एक गलत कदम जीवन  ज्यादा दुःख पीड़ा दायक हो सकता है 


आज के लिए इतना ही बाकी फिर कभी ----


नॉट - हमारा लेख सुने /पढ़े देखे हुए निज अनुभवों अनुसार लिखा गया है  हमारा उद्देश्य किसी की भावना आहत करना कदापि नही   अतः आप समझौता (दूसरी)  शादी स्वयं के बुद्धि विवेक से सोच समझ कर करे ताकि जीवन खुशहाल हो सके 


ॐ नमो ---//---

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