आदरणीय हमारी समझ से दोस्त का अर्थ है
दो अस्त होते हुए जीवन का जीवन के बचे समय मे एक दूसरे के सुख दुख में साथ निभाने को दोस्ती कहा जाता है इस रिश्ते में किसी से परिवारिक /समाजिक सम्बन्ध मायने नही रखते बल्कि एक दूसरे के प्रति विस्वास करते हुए निभाया जाता है
उदाहरण - दो +अस्त =दोस्त
विष (जहर) + आस (उम्मीद) = विश्वास
आदरणीय आपने बुजर्गो से दोस्ती के अनेको किस्से सुने होंगे जिन्होंने एक दूसरे के लिये जीवन का मोह त्याग कर एक दूसरे का साथ दिया
महाभारत काल मे मुझे दो दोस्ती के किस्से काफी कुछ बताते है
1 श्री कृष्ण का द्रोपदी से दोस्ती
इस दोस्ती में द्रोपदी को आस (उम्मीद) थी कृष्ण से ओर पूर्ण श्रद्धा के साथ श्रीकृष्ण को अपना सखा अर्थात दोस्त मानती थी
आपने सुना होगा श्रीकृष्ण ने द्रौपदी पर आये हर मुश्किल समय मे साथ दिया चीरहरण हरण का जिक्र तो आप सबने सुना ही होगा और ये भी सुना होगा उस समय द्रोपदी के पांचों महारथी पति भी अपनी मजबूरी के चलते उसकी रक्षा करने में असमर्थ थे तब द्रोपदी के अटूट विस्वास की लाज रखते हुए स्वयं श्री कृष्ण ने द्रौपदी के माध्यम से समस्त स्त्री जाति की रक्षा की कारण अगर उस दिन द्रोपदी निवस्त्र हो जाती तो वो एक प्रथा ही चल पड़ती और आये दिन किसी न किसी बहन बेटी बहु को उसके परिजन सार्वजनिक नग्न करने का दुस्साहस करते ही रहते
2 दुर्योधन और कर्ण की दोस्ती
इस दोस्ती में दुर्योधन के मन मे स्वार्थ रूपी जहर भरा था क्योंकि वो जानता था कर्ण के साथ बिन उसका पांडवों से लड़ना मूर्खता ही कहलाएगी
आपने सुना होगा कि महाभारत युद्ध के समय भीष्मपितामह ने जानबूझकर कर्ण को युद्ध मे शामिल नही होने दिया कारन वो जानते थे कर्ण पांडवों का ही भाई अर्थात कुंती पुत्र है और एक माँ के दो पुत्र आपस मे लड़ मरे इससे दुर्भाग्य पूर्ण और क्या होगा
कर्ण स्वयं भी जान चुका अपना सच फिर भी उसने दुर्योधन से दोस्ती मरने तक निभाई कारण कर्ण के मन मे एक आस (उम्मीद) थी के जिंदा रहते ना सही पर मरणोपरांत कोई उसे सूतपुत्र नही कहेगा जबकि दुर्योधन के मन मे शकुनि ने इतना जहर भर दिया कि वो अपनी ही भाभी (द्रोपदी) को भरी सभा मे निवस्त्र अपनी जंघा पर बिठाने तक को आतुर हो गया और अपने ही भाइयो अर्थात पांडवों को लाक्षागृह में जलाकर मारने तक के प्रयास किए इसके अलावा भीम को जहर देकर मारने का प्रयास यानी दुर्योधन के मन मे जहर ही भरा था अन्य कुछ नही कर्ण से मित्रता के पीछे भी उसके मन मे स्वार्थ रूपी जहर ही था
भावार्थ - दोस्ती करे पर ऐसे इंसान से करे जिसके मन मे आपके प्रति जहर नही हो सदैव प्रेम और आपकी भावनाओं का सम्मान करते हुए जीवनभर साथ निभा सके या फिर आपको अपनी मजबूरियों से अवगत करवा कर सम्भलने का अवसर अवश्य दे
धन्यवाद
ॐ नमो ----//-----
मार्गदर्शन /लेखक - राधा. /महेश
9111929955 / 9034664991